आरएनए (RNA) क्या है? आरएनए की संरचना एवं प्रकार का वर्णन करें।

आरएनए (RNA) :-

कोशिका द्रव्य तथा केंद्रिका में पाया जाने वाला ‘RNA (Ribonucleic acid) ‘ एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है, जिसे प्रथम आनुवंशिक पदार्थ कहते हैं क्योंकि आवश्यक जैवप्रक्रमों जैसे – उपापचयी, स्थानांतरण (ट्रांसलेशन), संबंधन आदि का विकास (evolution) RNA से ही हुआ था।

  • रासायनिक रूपांतरण के साथ DNA का विकास RNA से हुआ जिसके कारण DNA ज्यादा स्थाई (stable) होता है।
  • RNA का संश्लेषण DNA template से ट्रांसक्रिप्शन द्वारा होता है और उन कोशिकाओं मे पाए जाते हैं जहाँ डीएनए (DNA) आनुवंशिक पदार्थ होता है।

कार्य :-

  1. RNA आनुवंशिक गुणों के वाहक होते हैं (जैसे :– तंबाकू मोजैक, जीवाणुभोजियों एवं कुछ पादप वायरसों में)। ऐसे RNA की संरचना एक धागे के या रियोवायरस में दो धागे वाले होते हैं।
  2. RNA उत्प्रेरक (catalyst) का भी कार्य करता है।

आरएनए (RNA) की संरचना :-

  • RNA की संरचना DNA की तरह होती है। लेकिन इसमें एक पॉलिन्यूक्लियोटाइड, राइबोस शर्करा तथा थाइमिन की जगह यूरेसिल पाया जाता है।
  • इसमें मिलने वाले प्यूरीन दो प्रकार के होते हैं :- “एडीनिन एवं ग्वानिन” जबकि दो पाइरिमिडिन :- “यूरेसिल एवं साइटोसिन” होते हैं।
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चित्र :- प्यूरीन एवं पाइरिमिडिन का संरचनात्मक सूत्र
  • दो न्यूक्लियोटाइड्स फाॅस्फोडायइस्टर बंध से जुड़े रहते हैं एवं यही क्रमबद्ध होकर पॉलिन्यूक्लियोटाइड बनाता है।
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  • इसमें पाए जाने वाले न्यूक्लियोसाइड को राइबोसाइड कहते हैं।
  • RNA का एक स्ट्रैंड कभी-कभी छोटी चक्रदार RNA की संरचना बनाकर द्विगुणित कुंडलिनी जैसा दिखाई पड़ता है।
  • रॉबर्ट होले ने 1968 में यीस्ट ऐलेनिन tRNA की संरचना का अध्ययन कर इसे त्रिपर्नी क्लोवर की पत्ती के समान बताया। लगभग 80 नाइट्रोजनी बेसों से बनी इस संरचना में तीन लूप होते हैं। सिरे की विपरीत दिशा में अवस्थित लूप में प्रतिकोडोन होता है। लगभग हर प्रकार के tRNA में कुछ असामान्य न्यूक्लियोसाइड पाए जाते हैं [जैसे :– हाइड्रोयूरिडिन (DHU)]।
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चित्र :- tRNA की मौलिक संरचना एवं त्रिविम मॉडल
  • एस एच किम ने 1973 में tRNA की त्रिविम संरचना प्रतिपादित किया क्लोवर लीफ मॉडल से मिलती है।

आरएनए (RNA) का प्रकार :-

जीवाणु में RNA मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।

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1. संदेशवाहक या मेसेंजर आरएनए (mRNA) :-

  • यह DNA से संश्लेषित होने के बाद उससे आनुवंशिक सूचनाओं को ढोता है, इसीलिए इसे संदेशवाहक आरएनए कहते है। Template का कार्य भी करता है।
  • कोशिका में मौजूद कुल आरएनए (RNA) का यह 5-10% होता है।
  • mRNA में उपस्थित आनुवंशिक सूचनाओं के अनुरूप एमीनो अम्ल से प्रोटीन का संश्लेषण ट्रांसलेशन कहलाता है, और यह क्रिया राइबोसोम पर होती है।
  • इस RNA का आणविक भार 500,000 से 1,000,000 होता है।

2. अंतरण/स्थानांतरण या ट्रांसफर आरएनए (tRNA) :-

  • इसे विलेय RNA (soluble RNA or sRNA) भी कहते हैं।
  • प्रोटीन संश्लेषण के समय यह आवश्यकतानुसार विभिन्न एमिनो अम्लो का कोशिका द्रव्य से राइबोसोम तक स्थानांतरण करता है।
  • यह एक अनुकूलक अणु (apapter molecule) है, जो जेनेटिक कोड को read करता है। दूसरी ओर amino acid से जुड़ता है।
  • tRNA में एक प्रतिकूट फंदा (anticodon loop) होता है, जिसमे कूट के पूरक क्षार (complementary base) मिलते हैं।
  • इसमें एक amino acid acceptor end भी होता है, जिसमें यह amino acid से जुड़ता है।
  • एक प्रकार का tRNA केवल एक ही प्रकार के एमीनो अम्लों को स्थानांतरित कर सकता है, इसलिए किसी भी कोशिका में एमिनो अम्ल की जो संख्या होती है वह tRNA की भी होती है।
  • कोशिका में स्थित कुल RNA का यह 10-15% होता है।
  • इसका आणविक भार 23,000 से 30,000 तक होता है।

3. राइबोसोमल RNA (rRNA) :-

  • यह सब से स्थिर RNA है जो राइबोसोम से लगा रहता है। यह translation के समय संरचनात्मक तथा उत्प्रेरक कार्य करता है।
  • यह कोशिका में स्थित कुल RNA का 80% होता है।
  • इसका आणविक भार 35,000 से 1100, 000 तक होता है।
  • तीनों प्रकार के RNA मे यह सर्वाधिक समय तक क्रियाशील रहता है।

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