वंशावली विश्लेषण का वर्णन

वंशावली विश्लेषण (Pedigree Analysis) :- परिवार में कई पीढ़ियों तक लक्षणों के वंशागति का विश्लेषण करना वंशावली विश्लेषण कहलाता है। इसके अन्तर्गत एक विशेष लक्षण की पीढी – दर – पीढी होने वाली वंशगति को वंशावली वृक्ष (family tree) द्वारा दर्शाया जाता है। मानव आनुवंशिकी (human genetics) में वंशावली अध्ययन एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसका…

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बहुप्रभाविता / प्लियोट्रॉपी (Pleiotropy) क्या है?

बहुप्रभाविता / प्लियोट्रॉपी (Pleiotropy) :- जब जीवों में एकल जीन (single gene) द्वारा अनेक फीनोटाइप लक्षण प्रकट होते हैं, तब ऐसे जीन को प्लियोट्पिक जीन (Pleiotropic gene) कहते हैं तथा यह घटना बहुप्रभाविता / प्लियोट्रॉपी कहलाता हैं। जैसे – मनुष्य में Phenylketonuria, Sickle cell anaemia फेनिलकेटोनुरिया एक आनुवंशिक रोग है, जो एकल जीन में mutation…

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बहुजीनी वंशागति / पॉलीजेनिक इनहेरिटेंस (Polygenic Inheritance) क्या है?

बहुजीनी वंशागति / पॉलीजेनिक इनहेरिटेंस (Polygenic Inheritance) :- जीवों में जब कोई लक्षण तीन या उससे अधिक जीनों (genes) द्वारा नियंत्रित होता है, तब उसे बहुजीनी लक्षण (polygenic trait) कहते हैं तथा इसकी वंशागति बहुजीनी वंशागति या पॉलीजेनिक इनहेरिटेंस कहलाती है। जैसे – मनुष्य में त्वचा, आँखों तथा बाल का रंग, ऊँचाई आदि। इसमें कई…

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मेंडल के प्रयोग में प्रयुक्त तकनीकी शब्दों (जीन, ऐलील, प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण, जीनोटाइप तथा फीनोटाइप आदि) की परिभाषा।

जीन (Gene) :- विशेष लक्षण के लिए आनुवंशिकि की मूलभूत इकाई को जीन कहते हैं। मेंडल ने जीन को कारक (फैक्टर) कहा था। कारक या जीन अपरिवर्तित रूप में जनक से संतति में युग्मकों के माध्यम से उत्तरोतर पीढ़ियों में अग्रसरित होती है। ऐलील या युग्मविकल्पी (Allele or allelomorph) :- विपरित लक्षणों के एक जोड़ा…

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बंध्यता (Infertility) पर संक्षिप्त टिप्पणी।

बंध्यता (Infertility) :- असुरक्षित यौन संबंध के बाद भी जब स्त्री- पुरुष दंपति बच्चे पैदा नहीं कर सकते तब ऐसे दोष को बंध्यता (Infertility) कहते है। इसके कई कारण हो सकते है जैसे – शारिरिक, जन्मजात, रोग, ड्रग्स, प्रतिरक्षात्मक, मनोवैज्ञानिक आदि। भारत में प्रायः बच्चा न होने का दोष स्त्रियों को ही दिया जाता है,…

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मानव में निषेचन पश्च घटनाएं (विदलन, मोरुला, ब्लस्टोसिस्ट, अंतर्रोपन तथा भ्रूणीय विकास) का वर्णन।

विदलन या क्लीवेज (Cleavage) :- युग्मनज (zygote) जैसे ही इस्थमस से गर्भाशय की ओर बढ़ता है, mitotic division प्रारंभ हो जाता है, जिसे क्लीवेज या विदलन कहते हैं। विदलन में 2, 4, 8, 16 daughter cells बनता है जिन्हे कोरकखंड (ब्लास्टोमियर्स) कहते हैं। विदलन में भ्रूण का आकार नहीं बढ़ता हैं, केवल कोशिकाओं के संख्या…

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मानव में निषेचन का वर्णन।

मानव में निषेचन (Fertilization in human) :- एक शुक्राणु का एक अंडाणु के साथ संलयन (fusion), निषेचन कहलाता है। यह क्रिया मादा के अंडवाहिनी में ampulla क्षेत्र में होती है। संभोग (coitus) के दौरान शिश्न (penis) द्वारा वीर्य (semen) योनि में छोड़ा जाता है, जिसे insemination कहते हैं। Motile sperm तेजी से तैरते हुए गर्भग्रिवा…

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ऋतुस्राव चक्र या आवर्त चक्र (Menstrual Cycle) क्या है? ऋतुस्राव चक्र के विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें।

ऋतुस्राव चक्र (Menstrual Cycle) :- मादा प्राइमेट्स ( मनुष्य, बंदर तथा कपि) में जनन चक्र को ऋतुस्राव चक्र कहते हैं। प्रथम मासिक चक्र यौनारंभ के प्रारंभ में होता है जिसे रजोदर्शन (menarche) कहते हैं। ऋतुस्राव चक्र के विभिन्न अवस्थाएँ (Different phases of menstrual Cycle) :- ऋतुस्राव चक्र के 4 अवस्थाएँ होते हैं – 1. रजोधर्म…

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अंडजनन (Oogenesis) से आप क्या समझते हैं?

अंडजनन (Oogenesis) :- एक विकसित मादा युग्मक बनने की प्रक्रिया को अंडजनन कहते हैं। इसकी शुरुआत भ्रूणीय विकास के दौरान होती है। भ्रूण अंडाशय (foetal ovary) में 2 मिलियन अंडजननी (Oogonia) बनती है। जन्म के बाद फिर न तो दुबारा बनती है और न जुड़ती है। नोट :- अंडजनन की क्रिया शुक्राणुजनन से स्पष्ट रूप…

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आदिपृथ्वी, आदिवायुमंडल तथा आदिसमुद्र पर टिप्पणी

आदिपृथ्वी (Primitive earth) :- ऐसा अनुमान किया जाता है कि पृथ्वी का निर्माण आज से लगभग 500 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य एवं ग्रहों की उत्पत्ति एक अत्यंत गर्म एवं तीव्र गति से घूमते हुए कॉस्मिक धूल एवं गैसों के बादल के एक गोले से एक ही साथ हुआ। वह…

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जीवन की उत्पत्ति के सिद्धांत

जीवन की उत्पत्ति के सिद्धांत (Theories about Origin of life) :- जीवन की उत्पत्ति के सिद्धांत को लेकर अनेकों मत प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें मुख्य है – 1.स्वतः जनन 2. विशेष सृष्टि 3. कॉसमोजोइक सिद्धांत 4.प्राकृतिवादी सिद्धांत 5.चार्ल्स डार्विंन का मत 6. हेल्डेन का मत 7. आपैरिन की परिकल्पन1 1. स्वतः जनन (Spontaneous generation)…

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क्रमविकास (Evolution) का क्या अर्थ है?

क्रमविकास (Evolution) :- वर्तमान जीव – जंतु की उत्पत्ति पूर्व स्थित अनेक जीव – जंतुओं से हुई है। ये पूर्वज अपेक्षाकृत सरल थे। धीरे-धीरे कई पीढ़ियों तक इनमें आनुवंशिक परिवर्तन होते गए। ये सभी परिवर्तन इनमें एकत्र होने के फलस्वरुप वर्तमान जीव – जंतुओं का उदय हुआ।

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