आरएनए (RNA) :-
‘RNA’ एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है जिसका पूरा नाम Ribonucleic Acid होता है ।
आरएनए (RNA) की संरचना :-
- RNA की संरचना DNA की तरह होती है। लेकिन इसमें एक पॉलिन्यूक्लियोटाइड, राइबोस शर्करा तथा थाइमिन की जगह यूरेसिल पाया जाता है।
- इसमें मिलने वाले प्यूरीन दो प्रकार के होते हैं :- “एडीनिन एवं ग्वानिन” जबकि दो पाइरिमिडिन :- “यूरेसिल एवं साइटोसिन” होते हैं।

- RNA की संरचना मे शर्करा, फाॅस्फेट एवं नाइट्रोजनी बेस के अणु मिलकर एक न्यूक्लियोटाइड बनाते हैं।
- दो न्यूक्लियोटाइड्स फाॅस्फोडायइस्टर बंध से जुड़े रहते हैं एवं यही क्रमबद्ध होकर पॉलिन्यूक्लियोटाइड बनाता है।

- न्यूक्लियोटाइड बनाने में फाॅस्फोरिक अम्ल एवं न्यूक्लियोसाइड का संघनन होता है एवं फाॅस्फोडायइस्टर बंध के द्वारा यह संभव होता है।
- शर्करा के साथ नाइट्रोजनी बेस मिलकर न्यूक्लियोसाइड बनाता है।
- न्यूक्लियोसाइड के साथ फास्फोरिक अम्ल मिलने से न्यूक्लियोटाइड बनता है।
- फाॅस्फोरिक अम्ल (H₃PO₄) एक कार्बनिक यौगिक होता है जिसकी उपस्थिति से न्यूक्लिक अम्ल अम्लीय होते हैं।
- यह कोशिका द्रव्य एवं केंद्रिका में पाया जाता है।
- इसमें पाए जाने वाले न्यूक्लियोसाइड को राइबोसाइड कहते हैं।
- RNA का एक स्ट्रैंड कभी-कभी छोटी चक्रदार RNA की संरचना बनाकर द्विगुणित कुंडलिनी जैसा दिखाई पड़ता है।
- इसका अनुभार DNA से कम होता है एवं यह मुख्यत: प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेता है।
- RNA की संरचना में पॉलिन्यूक्लियोटाइड का स्टैंड इस प्रकार मुड़ा होता है कि बाहर शर्करा और फास्फेट से जुड़ी श्रृंखला होती है तथा अंदर की ओर पूरक बेस, हाइड्रोजन बंधो से जुड़े रहते हैं।
- रॉबर्ट होले ने 1968 में यीस्ट ऐलेनिन tRNA की संरचना का अध्ययन कर इसे क्लोवर की पत्ती के समान बताया। लगभग 80 नाइट्रोजनी बेसों से बनी इस संरचना में तीन लूप होते हैं। सिरे की विपरीत दिशा में अवस्थित लूप में प्रतिकोडोन होता है। लगभग हर प्रकार के tRNA में कुछ असामान्य न्यूक्लियोसाइड पाए जाते हैं [जैसे :– हाइड्रोयूरिडिन (DHU)]।

- एस एच किम ने 1973 में tRNA की त्रिविम संरचना प्रतिपादित किया। इसके अनुसार tRNA L-आकार की 20 एंगस्ट्रॉम मोटाई वाली संरचना है। यह क्लोवर लीफ मॉडल से मिलती जुलती संकल्पना है।
आरएनए (RNA) का प्रकार :-
RNA मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।

1. संदेशवाहक या मेसेंजर आरएनए (mRNA) :-
- DNA से संश्लेषित होने के बाद यह कोशिका द्रव्य में आकर राइबोसोम से जुड़ जाता है।
- चूँकि यह डीएनए की आनुवंशिक सूचनाओं को ढोता है, इसीलिए इसे संदेशवाहक आरएनए कहते है।
- कोशिका में मौजूद कुल आरएनए (RNA) का यह 5-10% होता है।
- इस RNA का आणविक भार 500,000 से 1,000,000 होता है।
- mRNA में उपस्थित आनुवंशिक सूचनाओं के अनुरूप एमीनो अम्ल से प्रोटीन का संश्लेषण ट्रांसलेशन कहलाता है, और यह क्रिया राइबोसोम पर होती है।
2. स्थानांतरण या ट्रांसफर आरएनए (tRNA) :-
- इसे विलेय RNA भी कहते हैं।
- प्रोटीन संश्लेषण के समय यह आवश्यकतानुसार विभिन्न एमिनो अम्लो का कोशिका द्रव्य से राइबोसोम तक स्थानांतरण करता है।
- एक प्रकार का tRNA केवल एक ही प्रकार के एमीनो अम्लों को स्थानांतरित कर सकता है, इसलिए किसी भी कोशिका में एमिनो अम्ल की जो संख्या होती है वह tRNA की भी होती है।
- कोशिका में स्थित कुल RNA का यह 10-15% होता है।
- इसका आणविक भार 23,000 से 30,000 तक होता है।
3. राइबोसोमल RNA (rRNA) :-
- यह सब से स्थिर RNA है जो राइबोसोम से लगा रहता है।
- यह कोशिका में स्थित कुल RNA का 80% होता है।
- इसका आणविक भार 35,000 से 1100, 000 तक होता है।
- तीनों प्रकार के RNA मे यह सर्वाधिक समय तक क्रियाशील रहता है।
RNA का संश्लेषण DNA template से ट्रांसक्रिप्शन द्वारा होता है और यह उन कोशिकाओं मे पाए जाते हैं जहाँ डीएनए (DNA) आनुवंशिक पदार्थ होता है।
कुछ RNA आनुवंशिक गुणों के वाहक होते हैं (जैसे :– तंबाकू मोजैक, जीवाणुभोजियों एवं कुछ पादप वायरसों में मिलनेवाला RNA)। ऐसे RNA की संरचना एक धागे के या रियोवायरस में दो धागे वाले होते हैं। दो धागे वाले आरएनए में डीएनए की तरह ही बेस पेयरिंग होता है।