भ्रूणपोष (Endosperm) क्या है? भ्रूणपोष के प्रकार क्या क्या हैं? पुष्पी पादपों में भ्रूण का विकास कैसे होता है?

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भ्रूणपोष (Endosperm) क्या है?

द्वि-निषेचन की क्रिया में जब नर युग्मक द्वितीयक केंद्रक से संलयन (Fusion) करता है तो इसके फलस्वरूप प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक बनता है, और यह सामान्यतः त्रिगुणित (Triploid) होता है। यह केंद्रक कई बार विभाजित होकर भ्रूणपोष का निर्माण करता है।

  • भ्रूणपोष की कोशिकाओं में खाद्य सामग्री संरक्षित होती है जो विकासशील भ्रूण के पोषण के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • नारियल (Coconut) तथा रेंडी (Castor) के भ्रूणपोष में खाद्य सामग्री तेल के रूप में संरक्षित रहते हैं।

भ्रूणपोष के प्रकार (Types of Endosperm) :-

प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक में विभाजन के आधार पर यह तीन प्रकार के होते हैं :-

  1. केंद्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear Endosperm)
  2. कोशिकीय भ्रूणपोष (Cellular Endosperm)
  3. माध्यमिक भ्रूणपोष (Helobial Endosperm)

1. केंद्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear Endosperm) :-

इसमें केंद्रक का विभाजन केंद्रकीय होता है। ऐसे विभाजन में केंद्रको के बीच भितियाँ नहीं बनती है। लेकिन अंत में कोशिका भितियों के बनने के कारण इसका संपूर्ण भाग कोशिकीय (Cellular) हो जाता है।

  • जैसे :- नारियल का भ्रूणपोष केंद्रकीय होता है।

2. कोशिकीय भ्रूणपोष (Cellular Endosperm) :-

इसके निर्माण में प्राथमिक केंद्रक के सभी विभाजनों के बाद कोशिका भित्ति बनती है। ऐसे भ्रूणपोष प्रारंभ से ही कोशिकीय होते हैं।

  • जैसे :- धतूरा (Datura) पेटूनिया (Petunia) आदि के पौधों में भ्रूणपोष कोशिकीय होते है।

3. माध्यमिक भ्रूणपोष (Helobial Endosperm) :-

इसमें केंद्रक के विभाजन के फलस्वरुप दो कोशिकाएं बनती हैं, उनमें एक बड़ी तथा दूसरी छोटी होती हैं। बड़ी कोशिका को माइक्रोपाइलर चैंबर तथा छोटी कोशिका को चैलेजल चैंबर कहते हैं। माइक्रोपाइलर चैंबर के केंद्रक में विभाजन के फलस्वरुप मुख्य भ्रूणपोष बनता है।

  • जैसे :- एकबीजपत्री पौधों के हेलोबी समुदाय में माध्यमिक भ्रूणपोष पाया जाता है।
विभिन्न प्रकार के भ्रूणपोष
चित्र :– विभिन्न प्रकार के भ्रूणपोष

पुष्पी पादपों में भ्रूण का विकास कैसे होता है? (Development of Embryo in Flowering Plants) :-

पुष्पी पादपों में भ्रूण दो प्रकार के हो सकते हैं :-

  1. एकबीजपत्री भ्रूण।
  2. द्विबीजपत्री भ्रूण।

पुष्पी पादपों में द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास (Development of Dicotyledonous Embryo) :-

पुष्पी पादपों में द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास कुछ इस प्रकार से होता है :–

  • निषेचन के बाद युग्मनज (Zygote) में प्रथम विभाजन अनुप्रस्थ (Transverse) होता है।
  • इसमें बीजांडद्वार की तरफ स्थित कोशिका को आधार कोशिका (Basal cell) तथा चैलाजा की तरफ स्थित कोशिका को अंतस्थ कोशिका (Apical cell) कहते हैं।
  • इसके बाद के विभाजन के फलस्वरूप T-आकार का प्राकभ्रूण (Proembryo) बनता है।
  • अंतस्थ कोशिका में विभाजन के फलस्वरुप चतुर्थांश (Quadrant) बनता है। इन कोशिकाओं में पुनः विभाजन होता है जिसके फलस्वरूप अष्टांशक अवस्था (Octant stage) बनती है।
  • इस अवस्था के बाद प्राकभ्रूण (Proembryo) में विभाजन होता है जिनसे 16 कोशिकाएं बनती है। कोशिकाओं की यह संरचना गोलाकार भ्रूण (Globular embryo) कहलाती है।
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चित्र :- पुष्पी पादपों में द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास।
  • आधार कोशिकाओं में अनुप्रस्थ विभाजन के फलस्वरूप 6 से 10 कोशिका लंबा निलंबक (Suspensor) बनाता है।
  • गोलाकार भ्रूण में बीजपत्र बनने के स्थान पर विभाजनों के फलस्वरूप भ्रूण हृदयाकार (Heart-shaped) हो जाता है।
  • अनुप्रस्थ विभाजनों के फलस्वरुप दो बीजपत्र (Cotyledon) लंबे हो जाते हैं तथा फिर बाद में मुड़ जाते हैं।
  • प्रांकुर (Plumule) दोनो बीजपत्र के बीच में स्थित रहता है।
  • द्विबीजपत्री भ्रूण में दो बीजपत्र बनते हैं जिसके आधार में बीजपत्रों के स्तर के नीचे वेलनाकार भाग “मूलज” (Radicle) के शीर्ष पर समाप्त होती है और उसे मूलगोप (Root cap) कहते हैं।
  • अतः कुछ इस प्रकार से पुष्पी पादपों में द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास होता है।

पुष्पी पादपों में एकबीजपत्री भ्रूण का विकास (Development of Monocotyledonous Embryo) :-

एकबीजपत्री पौधों के भ्रूण के विकास की प्रारंभिक अवस्थाएं द्विबीजपत्री पौधों के भ्रूण के विकास की तरह ही होती है। परंतु एकबीजपत्री भ्रूण में केवल एक ही बीजपत्र बनता है।

  • इस बीजपत्र को वरुथिका (Scutellum) कहते है और यह भ्रूणीय अक्ष के एक तरफ स्थित होता है।
  • इसके निचले सिरे पर [भ्रूणीय अक्ष (Embryonal axis) के निकट] मूलांकुर तथा मूलगोप (Root cap) अवस्थित होते हैं।
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चित्र :- पुष्पी पादपों में एकबीजपत्री भ्रूण का विकास।
  • यह विभेदित पर्त (Sheath) के बिना घिरा रहता है। इस संरचना को मूलांकुर चोल (Coleorrhiza) कहते हैं।
  • वरुथिका के जुड़ाव के स्तर से ऊपर (भ्रूणीय अक्ष) के भाग को बीजपत्रोपरिक (Epicotyl) कहते हैं।
  • इस रचना में एक प्ररोह शीर्ष (Shoot apex) होता है तथा इसमें कुछ आद्यपर्ण (Leaf primordia) होते हैं जो एक खोखलीपर्णीय संरचना को घेरते हैं। इस संरचना को प्रांकुरचोल (Coleoptile) कहते हैं।

युग्मनज से भ्रूण बनने तक की क्रिया को Embryogenesis कहते हैं।

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