DNA फिंगरप्रिंटिंग :-
मनुष्य के डीएनए में पाए जाने वाले क्षार अनुक्रम लगभग 99% एक समान होते हैं, किंतु शेष डीएनए में विभिन्नताए होते हैं, इन विभिन्नताओं का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए जिस विधि का उपयोग किया जाता है उसे DNA फिंगरप्रिंटिंग कहते हैं।
- DNA फिंगरप्रिटिंग तकनीक का प्रारंभिक विकास एलेक जेफरीज ने किया था।
DNA फिंगरप्रिंटिंग की विधि :-
- DNA fingerprinting के लिए थोड़ी सी रुधिर की कोशिकाएं या किसी भी प्रकार की शारीरिक कोशिकाओं का नमूना लिया जाता है प्रायः 1 लाख कोशिकाओं या लगभग 1 माइक्रोग्राम अच्छे नमूने के लिए उपयुक्त माना जाता है इसके लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती हैं।
- 1. एक उच्च गति वाले रेफ्रिजरेट सेंट्रीफ्यूज की सहायता से डीएनए की आवश्यक मात्रा रुधिर कोशिका या किसी अन्य प्रकार की शारीरिक कोशिकाओं से प्राप्त की जाती है।
- 2. आवश्यकता पड़ने पर निकाले गए डीएनए की अनेक प्रतिलिपि PCR विधि द्वारा तैयार कर ली जाती है।
3. डीएनए को सीमा तक लंबा रखने के लिए इसे रिस्ट्रिक्शन एंजाइम से काट कर छोटे-छोटे खंडों में विभक्त किया जाता है।
4. डीएनए टुकड़े को इलेक्ट्रोफॉरेसिस में जेल से निकाला जाता है।
5. छोटे लंबाई वाला डीएनए अपने बड़े लंबाई वाले की तुलना में आगे निकल जाता है। इस अवस्था में धारियां अदृश्य होती है।
6. अब दोहरे स्ट्रैंड वाले क्षारीय रासायनिक पदार्थ की सहायता से एक धागे डीएनए में अलग किया जाता है।
7. अलग किए गए सभी एक धागे डीएनए को नायलॉन जेल या नाइट्रोसेल्यूलोज परत पर स्थानांतरित कर जेल के ऊपर रखा जाता है इसे साउदर्न ब्लाटिंग विधि कहते हैं।
8. खंडो की संरचना को जानने के लिए एक एक्सरे फिल्म को नायलॉन झिल्ली के साथ रखा जाता है।
9. अब नायलॉन झिल्ली को एक जल पात्र में डुबाया जाता है एवं प्रोब्स या मार्कर को रेडियोसक्रिय संश्लेषित DNA खंडों में है, उन्हें मिलाया जाता है।
10. अंत में एक्सरे फिल्म को नायलॉन झिल्ली जो रेडियो सक्रिय प्रॉब्स युक्त होते हैं उस पर खोला जाता है। इस प्रकार की क्रिया के अंत में परिणाम स्वरूप डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के काले धब्बे probs के स्थान पर बन जाते हैं जिसे अध्ययन कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की जाती है।
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DNA फिंगरप्रिंटिंग के उपयोग :-
इस विधि का उपयोग निम्नलिखित प्रकार के जटिल उलझनो को सुलझाने में किया जाता है।
- फोरेंसिक लैब में इसका उपयोग अपराधियों को पहचानने में किया जाता।
- समरूप जुड़वां को छोड़कर डीएनए की संरचना किसी भी को व्यक्तियों में एक जैसी नहीं होती हैं। अतः इसके सहारे किसी का भी पहचान किया जा सकता है।
- संदिग्ध माता पिता के बच्चे के DNA फिंगरप्रिंटिंग के आधार पर सही माता-पिता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- मृत व्यक्तियों के सही सही जानकारी उनके मृत अंगों के डीएनए संरचना के द्वारा ही की जाती है ऐसी परिस्थिति में मृत व्यक्ति का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग उसके नजदीकी संबंधियों के डीएनए संरचना से मिलाया जाता है।
- किसी संतान के सही माता-पिता का ज्ञान भी इसी विधि के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
- मानव जीनोम के अनुवांशिक नक्शे को तैयार करने में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग लाभदायक होते हैं।
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