डीएनए प्रतिकरण की विधियां (Methods of DNA Replication) :-
डीएनए प्रतिकरण की विधियां निम्नलिखित हैं :–
1. प्रारंभन (Initiation) :-
- DNA प्रतिकरण की क्रिया किसी एक स्थान या अनेक स्थानों से भी शुरू हो सकती है।
- बैक्टीरिया एंव वायरस में यह क्रिया अनेक स्थानों से शुरू होती है।
- DNA प्रतिकरण किसी खास बिंदु से शुरू होकर एक या दोनों दिशाओं में हो सकता है।
2. कुंडली का खुलना (Unwinding of Helix) :-
- DNA प्रातिकरण के पहले हाइड्रोजन बंध टूट जाते हैं एवं डीएनए के दोनों स्ट्रैंड एक दूसरे से अलग हो जाते हैं।
- यह क्रिया helicase एवं अन्य एंजाइमों की सहायता से होती है।
- सभी एंजाइमों को सम्मिलित रूप से टोपोआइसोमेरेस कहते हैं।
- DNA के विकुंडलन से Y आकार की शाखा (Fork) बन जाती है जिसे प्रतिकरण शाखा (Replication fork) कहते हैं।
3. प्राइमर स्ट्रैंड्स का निर्माण (Formation of Primer strands) :-
- इस प्रकार डीएनए का अलग हुआ दोनों स्ट्रैंड Template का कार्य करता है।
- इसके सामने लंबाई में बढ़ने वाला नया स्टैंड प्राइमर बनता है।
- प्राइमर RNA का छोटा-छोटा टुकड़ा होता है जो RNA polymerase और अन्य एंजाइमों की सहायता से बनता है।
4. नए स्टैंड की लंबाई में वृद्धि (Elongation of new strand) :-
- पृथक डीएनए टेंप्लेट के न्यूक्लियोटाइड्स अपने पूरक न्यूक्लियोटाइड्स को आकर्षित कर नए Strands बनाते हैं।
- इस क्रिया में RNA प्राइमर प्रथम सिढी का कार्य करता है।
- द्विगुणन सदैव 5′ से 3′ दिशा में होता है। परंतु दोनों Templates strands के प्रतिसमानांतर (Antiparallel) होने के कारण एक स्ट्रैंड की 5′ से 3′ दिशा होती है तो दूसरे स्ट्रैंड की 3′ से 5′ दिशा होती है।
- नए न्यूक्लियोटाइड्स के निर्माण में डीएनए पॉलीमेरेज (DNA polymerase) एंजाइम भाग लेते हैं।
संतत एवं अर्धसंतत प्रतिकरण (Continuous & Semicontinuous Replication) :-
DNA प्रतिकरण चुँकि दो दिशाओं में एक साथ होता है, इसलिए एक ही एंजाइम डीएनए पॉलीमेरेज lll से यह क्रिया संभव नहीं है। इस कठिनाई को निम्नलिखित सुझाव से दूर किया गया है।
- डीएनए के उस स्ट्रैंड में जहां से संश्लेषण आरंभ होता है उसे अग्रज स्टैंड कहते है।
- अग्रज स्टैंड (Leading strand ) से द्विगुणन 5’→3′ दिशा में संतत होता है।
- पर दूसरे स्ट्रैंड या Lagging स्ट्रैंड में संश्लेषण छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में असंतत होता है।
- ऐसे टुकड़ों को ओकाजाकी फ्रेगमेंट्स कहते हैं।
- प्रत्येक टुकड़े में 1000 से 2000 नाइट्रोजनी बेस पेयर्स होते हैं।
- इन टुकड़ों को जोड़ने का काम डीएनए लाइगेज (DNA ligase) एंजाइम द्वारा होता हैं।
- अग्रज स्ट्रैंड डीएनए पॉलीमेरेज lll एंजाइम तथा lagging स्टैंड DNA polymerase l एंजाइम की क्रियाशीलता से बनता है।