वायुमंडलीय अपवर्तन (Atmospheric Refraction) :-
अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएं हमेशा स्थिर नहीं रहती है। गर्म वायु में से देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार की अस्थिरता हमारे स्थानीय पर्यावरण में लघु स्तर पर वायुमंडलीय अपवर्तन (पृथ्वी के वायुमंडल के कारण प्रकाश का अपवर्तन) का एक प्रभाव है। तारों का टिमटिमाना, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के आभासी समय आदि वायुमंडलीय अपवर्तन की मुख्य घटनाएं है।
तारों का टिमटिमाना :-
कभी-कभी मध्यवर्ती वायुमंडल में एकाएक परिवर्तन होने के कारण किरणें एक ओर विचलित हो जाती है जिससे प्रकाश प्रेक्षक (Observer) से बहुत अल्प समय के लिए अंशतः या कभी-कभी पूर्णतः कट जाता है। इसलिए तारा कभी कम प्रकाश और कभी अधिक प्रकाश देता हुआ प्रतीत होता है जिसे तारे का टिमटिमाना कहते हैं।
पृथ्वी का वायुमंडल शांत कभी नहीं होता है, गर्म तथा ठंडी हवा की धाराएं हमेशा बहती रहती है। ठंडी हवा की अपेक्षा गर्म हवा का घनत्व कम होता है और अपवर्तनांक भी कम होता है। इसलिए तारों से किरणें जितने समय में प्रेक्षक (Observer) तक पहुंचती है उतने समय में ये किरणें वायुमंडल के अपवर्तनांक में होने वाले परिवर्तनों के कारण अगल-बगल मुड़ जाती है।
जब हम स्वच्छ आकाश की ओर देखते हैं तो तारे दिखाई पड़ते हैं जिनकी चमक घटती-बढ़ती प्रतीत होती है और तब हम कहते हैं कि तारे टिमटिमा रहे हैं। तारों की चमक में यह घट-बढ़ वायुमंडल के घनत्व की असमानता के कारण होती है।
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के आभासी समय :-
पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडल है। पृथ्वी की सतह पर वायुमंडल का घनत्व अधिकतम होता है, और ऊपर की ओर घनत्व घटता जाता है। जब सूर्य की किरणें लगभग पूर्ण निर्वात (vacuum) से वायुमंडल में प्रवेश करती है तो किरणें अपवर्तित हो जाती है। विचलन महत्तम होगा जब किरणें वायुमंडल की सतह पर लगभग पृष्ठसर्पी आपतन पर पड़ती है, अर्थात जब सुर्य क्षितिज (horizon) पर होता है। अपवर्तन के कारण किरणें नीचे की ओर मुड़ जाती है।
अतः सूर्य अपनी वास्तविक ऊंचाई से अधिक ऊंचा दिखाई पड़ता है। इस कारण वास्तविक सूर्यास्त (actual sunset) और आभासी सूर्यास्त (apparent sunset) में अंतर लगभग 2 मिनट का होता है। इस प्रकार सूर्योदय (sunrise) और सूर्यास्त (sunset) के बीच का समय लगभग 4 मिनट बढ़ जाता है।
फिर, जब सूर्य क्षितिज (horizon) के निकट रहता है तो वह चपटा दिखाई पड़ता है, अर्थात सूर्य का उर्ध्व (vertical) व्यास छोटा मालूम पड़ता है।