वन पारिस्थितिक तंत्र (Forest Ecosystem) :-
वन पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक घटक के रूप में प्रकाश, आर्द्रता, तापक्रम, वर्षा, अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ आदि मौजूद होते हैं जबकि जैविक घटक के रूप में निम्नांकित उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक पाए जाते हैं –
उत्पादक (Producers ) :-
वनों में विभिन्न प्रकार के पौधे जैसे – घास, बबूल, सागबान, साल, शीशम, देवदार, चीर आदि मुख्य रूप से पाए जाते है जो उत्पादक का कार्य करते है।
उपभोक्ता (Consumers ) :-
वनों में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं उच्च स्तर के उपभोक्ता मौजूद रहते हैं।
- वनों में छोटे-छोटे कीट, चूहे, गिलहरी, खरगोश, बंदर, लंगूर, हिरण जिराफ, गाय, चिड़िया आदि शाकाहारी जंतु हरे पौधे एवं उनके फलों को खाते हैं, इसलिए इन्हें प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता (Primary consumers) कहते हैं।
- बिल्ली, बाज, चील, मेंढक, भेड़िया, लकड़बग्घा एवं तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवर प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं को खाते हैं, इसलिए इन्हें द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता (Secondary consumers) कहते हैं।
- कुत्ता, गिद्ध, वनमानुष आदि जानवर तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता (Tertiary consumers) कहलाते हैं, क्योंकि ये द्वितीय श्रेणी की उपभोक्ता को कहते हैं।
- शेर, चीता, अजगर एवं मनुष्य उच्च श्रेणी के उपभोक्ता (Top consumers) कहलाते हैं।
- वन पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं के बीच अनेक आहार श्रृंखलाएं बनते हैं जो एक-दूसरे से तिरछे जुड़कर निम्नांकित आहार जाल बनाते हैं।
अपघटक (Decomposers ) :-
वनों में सभी प्रकार के जीवों के मरने के बाद उनका अपघटन जीवाणु एवं अन्य सूक्ष्म जीव करते हैं और उनके शरीर में मौजूद जटिल कार्बनिक पदार्थ का अपघटन पुनः कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कैल्शियम आदि तत्वों के रूप में होता है जो वायुमंडल एवं मृदा में मिल जाते हैं और हरे पौधे इनका पुनः उपयोग करते हैं।