लेंस द्वारा प्रतिबिंब का निर्माण (Image formation due to lens) :-
लेंस द्वारा बने किसी वस्तु के प्रतिबिंब की स्थिति को ज्ञात करने के लिए वस्तु के किसी बिंदु से आने वाली निम्नलिखित तीन प्रकार की किरणों का पथ खींचा जा सकता है।
- वस्तु से निकलनेवाली वह किरण जो लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर होती है, अपवर्तन के बाद मुख्य फोकस से होकर गुजरती है (उत्तल अर्थात अभिसारी लेंस की स्थिति में) या उससे आती हुई प्रतीत होती है (अवतल, अर्थात अपसारी लेंस की स्थिति में)।
- लेंस के प्रकाशीय केंद्र से होकर गुजरनेवाली किरण अपवर्तन के बाद बिना विचलित हुए लेंस से बाहर निकल जाती है।
- अभिसारी (उत्तल) लेंस की स्थिति में लेंस के प्रथम मुख्य फोकस से होकर गुजरनेवाली किरण अथवा इस बिंदु पर आकर मिलती प्रतीत होने वाले किरण (अवतल लेंस में) अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर निकलती है।
लेंस द्वारा प्रतिबिंब का निमार्ण – इसमें कोई दो प्रकाश किरणें प्रतिबिंब का स्थान निर्धारित करने के लिए पर्याप्त होती है। इन नियमों को क्रमशः अभिसारी (उत्तल) लेंस तथा अपसारी (अवतल) लेंस के लिए दिखाया गया है।
लेंस के विभिन्न दूरियों पर वस्तु को रखकर इस प्रकार किरण-आरेख खींचकर प्रतिबिंब का स्थान निर्धारित किया जा सकता है।
लेंस का आवर्धन (magnification of lens) :-
किसी लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन m को प्रतिबिंब की ऊंचाई h’ तथा वस्तु की ऊंचाई h के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है।
किसी लेंस का आवर्धन
चिन्ह परिपाटी के अनुसार उत्तल अथवा अवतल लेंस द्वारा बने सीधे (अर्थात आभासी) प्रतिबिंब के लिए m धनात्मक होता है। जबकि उलटे तथा वास्तविक प्रतिबिंब के लिए m ऋणात्मक होता है।
लेंस की क्षमता (Power of a lens) :-
किसी लेंस की क्षमता (P) उसकी फोकस दूरी (f) के व्युतक्रम से मापी जाती है, अर्थात
P = 1/f
यदि फोकस दूरी f मीटर (m) में व्यक्त हो, तो लेंस की क्षमता का SI मात्रक m⁻¹ होता है। इसे डायोप्टर (D) भी कहा जाता है और यदि फोकस दूरी सेंटीमीटर (cm) में व्यक्त हो, तो
P = 100/f (सेंटीमीटर में)
लेंस की क्षमता का चिन्ह वही होता है जो चिन्ह उसकी फोकस दूरी का है। चिन्ह परिपाटी के अनुसार, उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक और अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।
अतः उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक (positive) और अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक (negative) होती है।