बायोगैस (Biogas) :-
वैसी गैस, जो जीवों द्वारा अपने चयापचयी क्रिया के दौरान मुक्त की जाती है, बायोगैस कहलाती है। इन गैसों में मुख्य रूप से मीथेन गैस होती है एवं इसके साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसें भी सूक्ष्मजीवों द्वारा सक्रियता से उत्पन्न की जाती है।
- बायोगैस का उपयोग ऊर्जा के एक स्रोत के रूप में किया जाता है। विभिन्न सूक्ष्मजीव अपनी वृद्धि एवं विकास के दौरान अलग-अलग प्रकार के कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं। खपत किए जाने वाले कार्बनिक पदार्थों की भिन्नता के चलते चयापचायी क्रिया के बाद बनने वाली गैसीय अंतिम उत्पाद में भी भिन्नता रहती है।
जैसे – कुछ जीवाणुओं, जो सेल्यूलोजिक पदार्थों पर अवायवीय रूप में वृद्धि करते हैं। चयापचयी क्रियाओं के द्वारा काफी मात्रा में मीथेन, कुछ मात्रा में CO2 एवं हाइड्रोजन मुक्त करते हैं। इस प्रकार के सारे जीवाणुओं को मीथेनोजेन (methanogens) कहा जाता है। इसका एक मुख्य उदाहरण मीथेनोबैक्टीरियम (methanobacterium) हैै।
- पशुओं के रूमेन (आमाशय का पहला भाग) में मीथेनोजेन जीवाणु पाया जाता है। रूमेन में जब सेल्यूलॉजिक पदार्थ पहुंचते हैं तो यह जीवाणु इसका पाचन करते हैं एवं इससे पशुओं को पोषक तत्व की प्राप्ति होती है। इस जीवाणु की उपस्थिति पशुओं के मल (जिसे सामान्य तौर पर गोबर कहा जाता है) में प्रचुर मात्रा में होती है। पशुओं के गोबर में पेड़-पौधे के सेल्यूलोजी पदार्थों का निम्नकृत रुप अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है यही कारण है कि इसका प्रयोग बायोगैस उत्पन्न करने में किया जाता है एवं उसे गोबर गैस भी कहा जाता है।
बायोगैस उत्पन्न करने की विधि :-
ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस या गोबर गैस संयंत्र का उपयोग खाना बनाने एवं प्रकाश पैदा करने में सामान्यतः किया जाता है। इसके उत्पादन की प्रौद्योगिकी का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोग के सम्मिलित प्रयास से संभव हुआ। इसके तहत जो बायोगैस संयंत्र का प्रारूप तैयार किया गया उसमें एक मुख्य टैंक होता है जो लगभग 10 से 15 फीट गहरा रहता है। इसमें गोबर तथा जैविक अपशिष्ट भरा जाता है। गोबर के स्तरी (slurry) के ऊपर एक सचल ढक्कन लगाया जाता है, जो ऊपर नीचे हो सकता है। जीवाणुओं के द्वारा निष्कासित गैसों के चलते ढक्कन ऐसा रखा जाता है। इस ढक्कन के ऊपर गैस निकलने के लिए एक निकास पाइप रहता है। इसी पाइप के द्वारा घरों में बायोगैस की आपूर्ति की जाती है।
टैंक के ऊपरी हिस्से में किनारे की ओर एक दूसरी पाइप लगी रहती है जिसके द्वारा उपयोग की गई गोबर की स्तरी (slurry) को बाहर निकाला जाता है इसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।