प्रोटीन संश्लेषण पर टिप्पणी।

प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis)

एमीनो अम्लों की पेप्टाइड बंधन से जुड़ी संरचना को प्रोटीन या Polypeptide chain कहते है। प्रोटीन संश्लेषण में न्यूक्लिक अम्लों से आनुवंशिक सूचनाओं का प्रवाह एक ही दिशा में होता है।

  • फ्रांसिस क्रिक (Francis Crick) के अनुसार आनुवंशिक सूचनाओं (genetic information) का प्रवाह DNA → RNA → Protein की तरफ होता है, जिसे सेंट्रल डोगमा (Central dogma) कहते हैं।
  • कुछ viruses में आनुवंशिक सूचनाओं का प्रवाह RNA से DNA की तरफ होता है।
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प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है :

  1. ट्रांसक्रिप्शन / अनुलेखन
  2. ट्रांसलेशन / स्थानांतरण / रूपांतरण

1. ट्रांसक्रिप्शन / अनुलेखन :-

  • DNA के एक रज्जुक (strand) से आनुवंशिक सूचनाओं का mRNA में स्थानांतरण को ट्रांसक्रिप्शन कहते है।
  • RNA Polymerase enzyme द्वारा यह क्रिया संपन होती हैं। DNA के प्रमोटर हिस्से में इस एंजाइम के बंधने के बाद यह क्रिया प्रारंभ होती है।
  • इसके तीन प्रमुख चरण होते है :-

A. प्रमोटरों से बंधन एवं RNA श्रृंखला का प्रारंभ :

  • डीएनए धागे पर जहां स्टार्ट सिग्नल्स रहता है उसे प्रमोटर कहते है। यहां Adenine एवं Thymine अधिक होता है।
  • प्रमोटर से ही RNA चैन बनना शुरू होता है।

B. RNA Polynucleotide चैन में वृद्धि :

  • RNA Polymerase एंजाइम DNA के नाइट्रोजन बेसो का प्रतिलिपि तैयार करता है।
  • डीएनए का सिर्फ एक स्ट्रैंड इसमें भाग लेता है एवं mRNA की लंबाई में वृद्धि 5′ से 3′ की ओर होती है।

C. ट्रांसक्रिप्शन का समापन :

  • जब डीएनए Stop signal पर RNA polymerase पहुंचता है तब mRNA का संश्लेषण रुक जाता है।
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चित्र :- ट्रांसक्रिप्शन एवं ट्रांसलेशन।

2. ट्रांसलेशन / स्थानांतरण / रूपांतरण :-

  • mRNA में उपस्थित आनुवंशिक सूचनाओं के अनुरूप एमीनो अम्लों से प्रोटीन संश्लेषण “ट्रांसलेशन” कहलाता है।
  • ट्रांसलेशन की क्रिया राइबोसोम पर होती है।
  • mRNA का एक कोडोन एक बार में एक संदेश को 5′ से 3′ किनारे की ओर अग्रसर करता है।
  • किसी एमीनो अम्ल को Cytoplasm से mRNA तक लाने के लिए tRNA होते है जिसमें उपस्थित ‘Anticodon’ mRNA के Codon के पूरक होते है।
  • इस प्रकार एक के बाद दूसरा एमीनो अम्ल राइबोसोम के विशेष स्थान पर आते है एवं एमीनो अम्लों के बीच पेप्टाइड बंधन बनाते है। इस प्रकार से Polypeptide chain का निर्माण होता है।
  • इस चैन के निर्माण में ATP ऊर्जा की भूमिका होती है और इसी के द्वारा एमीनो अम्ल एक्टिव हो जाते है तथा प्रोटीन संश्लेषण शुरू हो जाता है।
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चित्र :- प्रोटीन संश्लेषण।

अनुलेखन इकाई (transcription unit) डीएनए का वह भाग है जो अनुलेखन (transcription) के लिए आवश्यक होता है और इसमें संरचनात्मक जीन (structural gene), प्रमोटर (promoter) और टर्मिनेटर (terminator) शामिल होते हैं।

वे बिंदु जो अनुलेखन इकाई के भाग है कूटलेखन रज्जुक से बने होते है, उन बिंदुओं की व्याख्या के लिए अनुलेखन इकाई के परिकल्पित अनुक्रम (hypothetical sequence) को नीचे इस प्रकार दर्शाया जा सकता है –

3′- ATGCATGCATGCATGCATGCATGC – 5′ Template strand

5′- TACGTACGTACGTACGTACGTACG – 3′ Coding strand

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यह अनुलेखन को आरंभ करने के लिए आवश्यक है, जहाँ आरएनए पॉलीमरेज़ जुड़ता है।

यह वह भाग है जो आरएनए के लिए कोड करता है।

अनुलेखन इकाई में संरचनात्मक जीन मोनोसीस्ट्रानीक (यूकैरियोट्स में) या पॉलीसीस्ट्रानीक (प्रोकैरियोट्स में) हो सकता है।

सीस्ट्रान (cistron) :- यह DNA का एक खंड है जो पॉलीपेप्टाइड का कूटलेखन (coding) करता है।

कूटलेखन अनुक्रमों (sequences) को एक्जांस (exons) कहते हैं, जो परिपक्व RNA में मिलते हैं।

इंट्रान (introns) :- यह जीन के भीतर न्यूक्लियोटाइड का अनुक्रम है। Exons, इंट्रान (introns) द्वारा अंतरापित (interrupted) होते हैं। इंट्रान, परिपक्व RNA में नहीं मिलते हैं।

यह डीएनए का एक क्षेत्र है जो अनुलेखन को समाप्त करने का संकेत देता है।

प्रोटीन संश्लेषण के लिए यूकैरियोटस् के अनुलेखन (Transcription) में दो अतिरिक्त जटिलताएं मिलते हैं –

1. केंद्रक में कम से कम तीन RNA polymerases एंजाइम्स का होना –

(a) RNA polymerase I :- rRNA को अनुलेखित (transcribe) करता है। (b) RNA polymerase II :- दूत RNA (mRNA) के heterogeneous nuclear RNA (hnRNA) को अनुलेखित करना तथा (c) RNA polymerase III :- tRNA, 5srRNA तथा snrRNA (single nuclear RNA) के अनुलेखन के लिए जिम्मेदार होना।

2. प्रारंभिक अनुलेखन में exons तथा introns दोनों होना –

ये दोनों निष्क्रिय होते हैं तथा एक splicing process से गुजरते हैं, जिसमें introns अलग होता है जबकि exons एक निश्चित क्रम में जुड़ जाते हैं।

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