प्रिज्म (Prism) :-
किसी कोण पर झुके दो समतल पृष्ठों के बीच घिरे किसी पारदर्शक माध्यम को प्रिज्म कहते हैं। इसमें में तीन कोर पाए जाते हैं। दो पृष्ठों की उभयनिष्ठ रेखा (common line) को अपवर्तक कोर (refracting edge) कहा जाता है।
प्रिज्म के जिस तल से अपवर्तन होता है, वह अपवर्तक तल कहलाता है। दो अपवर्तक तलों के बीच के कोण को अपवर्तक कोण (refracting angle) और अपवर्तक कोर के सामने वाले पृष्ठ को आधार (base) कहते हैं।
आपतन-कोण और विचलन-कोण के बीच संबंध (Relation between Angle of Incidence and Angle of Deviation) :-
जब प्रिज्म के अपवर्तक तल पर आपतन – कोण का मान 0⁰ से धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है, तब संगत के विचलन कोण का मान भी बदलता जाता है।
यदि आपतन – कोण और संगत के विचलन कोण के बीच एक ग्राफ खींचा जाए तो प्राप्त वक्र निम्नांकित चित्र जैसा होगा –
प्रारंभ में आपतन – कोण का मान बढ़ाते जाने पर विचलन – कोण का मान कम होता जाता है और आपतन – कोण के एक विशेष मान ( i ) के लिए विचलन – कोण का मान न्यूनतम हो जाता है, जो न्यूनतम विचलन की स्थिति है। आपतन – कोण को और अधिक बढ़ने पर विचलन – कोण भी बढ़ने लगता है। न्यूनतम विचलन की अवस्था में विचलन – कोण, न्यूनतम विचलन का कोण (angle of deviation) कहलाता है।
न्यूनतम विचलन के लिए i₁ = i₂
इस स्थिति में आपतित और निर्गत किरणें प्रिज्म के तलों से बराबर झुकी होती है।