प्रिज्म का अपवर्तनांक (Refractive Index of Prism) :-
आपतन – कोण i₁ के परिवर्तन से उसके संगत विचलन – कोण का मान भी बदल जाता है और आपतन – कोण के एक विशेष मान के लिए विचलन – कोण δ का मान न्यूनतम हो जाता है।
यदि आपतन – कोण i₁, निर्गत – कोण i₂, अपवर्तन – कोण r₁ तथा r₂ है तो न्यूनतम विचलन की स्थिति में i₁ = i₂ तथा r₁ = r₂
अब समीकरण i₁ + i₂ = A + δ तथा
r₁ + r₂ = A में न्यूनतम विचलन की आवश्यक शर्तें (i₁ = i₂, r₁ = r₂) रखने पर
i₁ + i₂ = A + δₘ तथा r₁ + r₂ = A
या, i₁ = (A + δₘ)/2 तथा r₁ = A/2
अब i₁ और r₁ के इन मानों को स्नेल के नियम
μ = sin i₁/ sin r₁ में रखने पर,
μ = (sin A + δₘ)/2 / sin A/2
जहां μ प्रिज्म का अपवर्तनांक है