प्रतिबंधन एंजाइम्स (Restriction enzymes) :
DNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने वाले एंजाइम्स को प्रतिबंधन एंजाइम्स (Restriction enzymes) कहते है।
- सन 1963 में सर्वप्रथम बैक्टीरिया E. coli से प्रतिबंधन एंजाइम का खोज किया गया था।
- वर्तमान में लगभग 900 प्रतिबंधन एंजाइम्स के खोज किए जा चुके हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी में इन एंजाइम्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं।
- प्रथम खोजी गई प्रतिबंधन एंजाइम Hind II है।
- Hind II एंजाइम DNA को उस विशेष बिंदु पर काटते हैं जहां पर छः क्षारक युग्मों (Six base pairs) का एक विशेष अनुक्रम होता है।
- इस विशेष क्षारक अनुक्रम को पहचान अनुक्रम (Recognition sequence) कहते है।
प्रतिबंधन एंजाइम्स को मुख्यत: दो वर्गों में बांटा गया हैं :–
- प्रतिबंधन एक्जोन्यूक्लिएज (Exonuclease) :- यह डीएनए के सिरे (ends) से न्यूक्लियोटाइड को अलग करते हैं।
- प्रतिबंधन इंडोन्यूक्लिएज (Endonuclease) :- यह डीएनए को भीतर से विशिष्ट स्थलों पर काटते हैं।
DNA Palindromes :-
DNA Palindromes डीएनए क्षारक युग्मों (Base pairs) का एक ऐसा अनुक्रम है जो पढ़ने के अभिविन्यास (Orientation) को समान रखने पर दोनो लड़ियों में एक जैसे ही पढ़ा जाता है।
जैसे :–
5′ – GAATCC – 3′
3′ – CCTAAG – 5′
उपर्युक्त अनुक्रमों को 5′ से 3′ की दिशा में पढ़ने पर दोनो लड़ियों को एक जैसा पढ़ा जायेगा। और 3′ से 5′ की ओर पढ़ने पर भी एक जैसे ही पढ़ा जायेगा।
प्रतिबंधन एंजाइम का नामकरण (Nomenclature of Restriction enzyme) :-
प्रतिबंधन एंजाइम का नामकरण एंजाइम स्रोत वाले जीवों के वंश (Genus) तथा जाति (Species) के आधार पर किया जाता है।