पारजीवी जंतु (Transgenic Animals) :-
जब किसी जंतु के डीएनए में परिचालन द्वारा बाहरी जीन को प्रवेश कराया जाता है तथा वह जीन अपना लक्षण व्यक्त करता है तब ऐसे जंतु को पारजीवी जंतु या ट्रांसजेनिक जंतु कहते हैं। जैसे :- ट्रांसजेनिक चूहा, खरगोश, सूअर, भेड़, बकरी, मछलियां आदि। ट्रांसजेनिक जंतुओं में लगभग 95% चूहों की संख्या शामिल है।
पारजीवी जंतु से मनुष्य को लाभ (Human benefits from Transgenic animals) :-
(1). रोगों का अध्ययन (Study of Diseases) :-
- रोग उत्पन्न होने में जीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- ट्रांसजेनिक जंतुओं के निर्माण द्वारा इस भूमिका का अध्ययन किया जा सकता है।
- मानव रोगों के निदान के लिए नए औषधि की खोज की जाती है, परंतु उस औषधि का क्लिनिकल ट्रायल किया जाता है।
- इस कार्य के लिए ट्रांसजेनिक जंतुओं को मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है। जैसे :- कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस, आर्थराइटिस, एल्जिमर आदि के लिए वैज्ञानिकों ने पारजीवी जंतुओं का उपयोग किया है।
(2). जैविक उत्पाद की प्राप्ति (Obtaining biological products) :-
- कुछ मानव रोगों (Human diseases) के उपचार हेतु जैविक उत्पाद से बनी औषधियों (Medicines) की आवश्यकता पड़ती है। जैसे :- प्रोटीन “एंटीट्रिप्सिन” का उपयोग इंफीसीमा (Emphysema) नामक रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस प्रोटीन का उत्पादन ट्रांसजेनिक जंतुओं के माध्यम से भी किया जाता है।
- 1997 में पहली ट्रांसजेनिक गाय (रोजी) को उत्पन्न किया गया था। जिससे मानव ने प्रोटीन संपन्न दुग्ध प्राप्त किया। प्रति लीटर दूध में 2.4 ग्राम प्रोटीन की प्राप्ति हुई थी।
(3). टीका सुरक्षा (Testing the safety of Vaccine) :-
- मानव को रोगों से बचाने के लिए कई प्रकार के टीके लगाए जाते हैं।
- इन टीकों का प्रयोग सीधे मानव शरीर पर करने से पहले पारजीवी जंतु, जैसे चूहों पर किया जाता है।
- चूहों पर सफलतापूर्वक परीक्षण के उपरांत इन टीकों को बंदर के शरीर में लगाकर इसकी सुरक्षा की जांच की जाती है। जैसे :- पोलियो का टीका कितना सुरक्षित है इसकी जांच पहले चूहों पर की गई थी।
(4). रासायनिक सुरक्षा परीक्षण (Testing the toxicity of Chemicals) :-
- औषधियों की Toxicity की जांच करने के लिए ट्रांसजेनिक जंतुओं का प्रयोग किया जाता है।
- रासायनिक सुरक्षा परीक्षण के लिए टॉक्सिक पदार्थों को ट्रांसजेनिक जंतुओं के संपर्क में लाया जाता है जहां उनपर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
(5). सामान्य शरीर क्रिया एवं विकास की जानकारी (Study of normal Physiology and Development) :-
- जीनों के नियंत्रण तथा बाहरी जीन का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है इसकी जानकारी ट्रांसजेनिक जंतुओं के द्वारा होती है। जैसे – इंसुलिन का शरीर के विकास पर क्या प्रभाव पड़ना?
- जब जंतुओं में दूसरी जाति के जीन प्रवेश कराएं जाते हैं तब इंसुलिन जैसे जटिल कारकों पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका पता ट्रांसजेनिक जंतुओं द्वारा लगाया जा सकता है।
- विभिन्न कारकों को शरीर में जैविक भूमिका का पता लगाने के लिए भी ट्रांसजेनिक जंतुओं का उपयोग किया जाता है।