पशुपालन (Animal husbandry) :-
पशुपालन विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के भोजन, आवास, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है। पशुपालन के अंतर्गत भैंस, गाय, भेड़, बकरी, ऊंट आदि का प्रजनन करते हैं तथा इन पशुओं की देखभाल करते हैं।
- पशुपालन पशुधन वृद्धि की एक कृषि-पद्धति है जिसमे डेयरीफार्म, कुक्कुटफार्म तथा मत्स्यकी को भी सम्मिलित किया जाता है। पालतू पशुओं से हमें दूध, मांस, अंडा, ऊन आदि की प्राप्ति होती है।
- जनसंख्या की दृष्टि से 70% से अधिक पशुधन भारत तथा चीन में है परंतु विश्वस्तर पर फार्म उत्पादों की तुलना में ये देश केवल 25% ही योगदान करते हैं। उत्पादकता बढ़ाने के लिए पारंपरिक पद्धतियों के अतिरिक्त नई प्रौद्योगिकी को भी अपनाने की भी आवश्यकता है।
- पशुपालन विज्ञान के अध्ययन से उत्पन्न नस्ल की गाय, भैंस आदि प्रजनन द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं।
- हमारे देश में मत्स्य पालन की असीम संभावनाएं हैं। पशुपालन विज्ञान द्वारा मछलियों के बच्चों का सफल निष्कासन, मछलियों के आकार में समुचित वृध्दि, उनका उचित रख-रखाव, रोगों से बचाव आदि संबंधित बातें सीखी जा सकती है।
- जनसंख्या के अनुरूप भोजन की बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिक पुष्ट, मांसल तथा जल्दी बढ़नेवाली नस्ल की मुर्गीयां प्रजनन के द्वारा प्राप्त की जा सकती है। भारत में भोजन के रूप में अंडे की प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत मात्र 6 है जबकि अमेरिका में यह 295 है।
फार्म पशुओं का प्रबंधन (Management of farm animals) :-
- खाद्य-उत्पादन में वृद्धि के लिए फार्म पशुओं का प्रबंधन आवश्यक है।
- दूध देने वाले पशुओं, कुक्कुटपालन, पशुप्रजनन, मधुमक्खीपालन, मत्स्यपालन के पारंपरिक प्रबंधन को बढ़ावा तभी मिल सकता है जब नस्ल की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर उनके प्रजनन तथा रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए।