दीर्घ दृष्टि-दोष (Hypermetropia) :-
जब आंखों के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी सामान्य आंख की तुलना में अधिक हो जाती है तथा आंखें निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं तब ऐसे दोष को दीर्घ दृष्टि-दोष कहते हैं।
दीर्घ दृष्टि-दोष के कारण (Causes of Hypermetropia) :-
1. नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा हो जाना अर्थात नेत्र लेंस और रेटिना के बीच की दूरी का घट जाना।
2. नेत्र लेंस का कम उत्तल हो जाना अर्थात इसकी फोकस दूरी का मान सामान्य आंख की अपेक्षा बढ़ जाना।
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अतः सामान्य निकटतम (D =25 cm) पर स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनने के कारण ऐसी आंखें उन्हें स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते है।
दीर्घ दृष्टि-दोष का निवारण (Remedies of Hypermetropia) :-
इस दोष से युक्त आंखों को सामान्य दृष्टि प्रदान करने के लिए उपयुक्त फोकस दूरी के उत्तल लेंस (Convex lens) या अभिसारी लेंस (convergent lens) के उपयोग किए जाते हैं जो समांतर किरणों को थोड़ा अभिसरित (converge) कर प्रतिबिंब को रेटिना पर फोकस कर देते हैं।
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लेंस की क्षमता (Power of Lens) :-
यदि चश्मे के लेंस की फोकस दूरी f, u = -D तथा v = -d हो, तो
लेंस – सूत्र 1/v – 1/u = 1/f से,
1/-d – 1/-D = 1/f
या 1/f = 1/D – 1/d = d- D/Dd
f = Dd/d-D
चूंकि d > D, इसलिए f धनात्मक होगा। इस प्रकार, प्रयुक्त चश्मे का लेंस उत्तल (convex) होगा।
उपर्युक्त समीकरण से लेंस की क्षमता
P = +d-D/Dd