डेयरी फार्म प्रबंधन क्या है तथा डेयरी फार्म प्रबंधन में किन-किन संसाधनों की आवश्यकता होती है?

Dairy farm management

डेयरी फार्म प्रबंधन :

पशुपालन के अन्तर्गत डेयरी उद्योग में दुधारू पशुओं (जैसे :– गाय, भैंस आदि) का प्रबंधन किया जाता है। इसे ही डेयरी फार्म प्रबंधन कहते है।

  • दुग्ध उत्पादन मुख्यतः इस बात पर निर्भर करता है कि उस डेयरी में रखे गए पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता क्या है। भारतवर्ष में गायों और भैंसों की लगभग 32 प्रजातियां विद्यमान है।
  • भारतीय गाय का वैज्ञानिक नाम बॉस इंडिकस (Bos indicus) है। प्रमुख भारतीय गायों में साहीवाल, गिर, रेड सिंधी, थरपाकर तथा हरियाणवी है।
  • गाय की देसी प्रजातियां पर्याप्त दूध नहीं देती है इसलिए हमारे देश में भी विदेशी नस्लों के साथ संकरण (Hybridization) के द्वारा अधिक दुधारू गायों की प्रजातियां विकसित की गई है। जैसे :– जर्सी, करन–स्विस, होल्स्टाइन–फ्रीसिऑन, करन–फ्राइस तथा फ्रिसिऑन–साहीवाल
  • हमारे देश में उन्नत नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों की संकर नस्लें राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute), करनाल (हरियाणा) में विकसित की गई है।
  • भारतीय भैंस का वैज्ञानिक नाम बुबैलस बुबैलिस (Bubalus bubalis) है। भारतवर्ष मेंं भैंसों की 10 प्रजातियां पाई जाती है जिनमें, मुर्राह, नागपुरी, मेहसाना, सुरती तथा जाफराबादी प्रमुख है।
  • भैंस की सबसे अधिक उत्पादन क्षमतावाली नस्ल मुर्राह है जो अपने दुग्ध स्रावकाल में लगभग 2000 लीटर दूध देती है।

डेयरी फार्म प्रबंधन में निम्नलिखित संसाधनों की आवश्यकता होती है :

1. नस्ल :-

  • अधिक उत्पादन के लिए पशुओं की अच्छी नस्लों केेेेेेे चयन तथा उनकी रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण हैं।
  • नस्ल के चुनाव में क्षेत्र की जलवायु तथा परिस्थितियों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

2. देखभाल :-

  • अच्छे उत्पादन के लिए पशुओं की अच्छी देखभाल आवश्यक है।
  • पशुओं को रहने के लिए स्वच्छ आवास, पर्याप्त जल सुविधा तथा रोगमुक्त वातावरण रहना आवश्यक है।
  • पशुओं का आवास गृह स्वच्छ, सूखा तथा हवादार होना चाहिए।

3. भोजन :-

  • दुग्ध की उत्पादकता का सीधा संबंध पशुओं को दिए जानेवाले संतुलित आहार की गुणवत्ता तथा मात्रा से होता है।
  • पशुधन का आहार ऐसा होना चाहिए जिसमे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज तथा विटामिन संतुलित मात्रा में विद्यमान हो।
  • इसकेेे अतिरिक्त्त आहार में जल और रूक्षांश की आवश्यक मात्रा का होना अनिवार्य है।

4. दुग्ध उत्पादों का भंडारण तथा परिवहन :-

  • दूध को निकालनेेेेेे, उसके भंडारण तथा डेयरीफार्म से अन्यत्र ले जाने में विशेष सावधानी रखनी पड़ती है।
  • दूध देने वालेेे पशुओं तथा दूध निकालनेवाले व्यक्तियों की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए अन्यथा सूक्ष्मजीव दूूध को दुहने, भंडारण तथा परिवहन में खराब कर देते हैं।
  • दुग्ध या दुग्ध उत्पाद खराब ना हो पाए उसके लिए शीत वातावरण की व्यवस्था करनी होती है।

5. पशु चिकित्सा :-

  • पशुओं को रोगों से बचाने के लिए नियमित जांच पशु चिकित्सक द्वारा करना आवश्यक है।
  • संक्रामक रोगों से बचाव के लिए पशुधनों को समय समय पर टिके लगाना अत्यंत आवश्यक है।
डेयरी फार्म प्रबंधन
चित्र :- डेयरी फार्म प्रबंधन

What did you think of this article?

Scroll to Top