जैव विविधता संरक्षण (Conservation of Biodiversity) :-
पौधों एवं जंतुओं को लगातार जीवित रखना, उचित वृद्धि एवं विकास, प्रजनन आदि को सुनिश्चित कराने के उपाय को जैव विविधता संरक्षण कहते हैं।
यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –
1. स्वस्थाने संरक्षण (In situ conservation) :-
जब संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित किया जाता है तब उसे स्वस्थाने संरक्षण कहा जाता है। जैसे – बाघ को बचाने के लिए पूरे वन-क्षेत्र को संरक्षित करना।
उदाहरण – पवित्र उपवन, सुरक्षित जैवमंडल, राष्ट्रीय उद्यान, पशु विहार।
2. बाह्यस्थाने संरक्षण (Ex situ conservation ) :-
जब पौधे या जंतु संकटग्रस्त (Endangered ) या आपतिग्रस्त (Threatended) श्रेणी में आ जाते हैं तब उनके तत्काल संरक्षण के लिए अन्य सुरक्षित स्थानों जैसे – वानस्पति उद्यान (Botanical garden), प्राणी उद्यान (Zoological garden) आदि में रखा जाता है। जिसे बाह्यस्थाने संरक्षण कहते हैं।
उदाहरण – बीज बैंक, फील्ड जीन बैंक, क्रायोप्रीजर्वेशन, वानस्पतिक उद्यान, प्राणी उद्यान आदि।