जीन चिकित्सा (Gene therapy ) :-
किसी जीव के आनुवंशिक रोग के उपचार हेतु एक या एक से अधिक सामान्य जीन को भ्रूण या रोगी के ऊतक में प्रवेश कराना जीन चिकित्सा (Gene therapy) कहलाता है।
- इस विधि द्वारा जीन दोषों का सुधार किया जाता है।
- जीन चिकित्सा (Gene therapy) में आनुवंशिक दोष (Genetic defects) वाली कोशिकाओं के उपचार हेतु सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानांतरित किया जाता है।
- ये स्थानांतरित जीन निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उनके कार्यों को संपन्न करते हैं।
- जीन चिकित्सा (Gene therapy) का सर्वप्रथम प्रयोग 1990 में एक 4 वर्षीय लड़की पर किया गया था जिसमें एडिनोसिन डिएमीनेज (Adenosine Deaminase or ADA) की कमी हो गई थी।
- यह एंजाइम प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) के कार्य के लिए अति आवश्यक होता है।
- चिकित्सको ने T-लिंफोसाइट्स (T-lymphocytes) को सामान्य Adenosine Deaminase के साथ ट्रांसफेक्ट किया।
- इस विधि द्वारा लड़की में एडिनोसिन डिएमीनेज की कमी को दूर किया गया।
- जीन चिकित्सा (Gene therapy) में रिमेडियल जीन (Remedial gene) को विषाणु (virus) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कराया जाता है।
- इस विधि से सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis), हीमोफीलिया (Haemophilia), कैंसर आदि का इलाज किया जाता है।
- जीन चिकित्सा में रोगी के रक्त से लिम्फोसाइट्स को शरीर के बाहर संवर्धन (culture) किया जाता है।
- एक सक्रिय ADA cDNA को रेट्रोवायरस संवाहक (vector) की मदद से lymphocytes में प्रवेश कराया जाता है।
- फिर इन लिम्फोसाइट्स को रोगी के शरीर में प्रवेश कराया जाता है (चूंकि ये कोशिकाएं बहुत लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकती है, इसलिए समय-समय पर जेनेटिकली इंजीनियर्ड lymphocytes को रोगी के शरीर में प्रवेश कराना पड़ता है)।
- यदि Marrow cells से विलगित (Isolated) जीन (जो ADA उत्पादित करते हैं) को भ्रुणीय अवस्था (Embryonic stage) में रोगी के अंदर प्रवेश करा दिया जाए तब एक स्थायी उपचार हो सकता है।