औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीव (Microbes in Industrial products)

औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीव ((Microbes in Industrial products) :-

औद्योगिक दृष्टिकोण से जीवाणु अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इससे विभिन्न प्रकार के मानव उपयोगी उत्पादों को बड़े पैमाने पर तैयार किया जाता है। व्यावसायिक स्तर पर सूक्ष्मजीवों को पैदा करने के लिए किण्वन (fermentation) की जरूरत होती है, इसके लिए धातु का बना बड़ा पात्र होता है जिसे पूरी तरह बंद किया जा सकता है।

सूक्ष्मजीवों से तैयार विभिन्न औद्योगिक उत्पादों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है।

1. फर्मेंटेड पेय (fermented beverage) :-

औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीव जैसे – यीस्ट के प्रयोग से अनेक प्रकार के एल्कोहलिक पेय का निर्माण प्राचीन समय से होता आ रहा है। किण्वन के क्रिया द्वारा अंत में यीस्ट इथाइल एल्कोहल बनाते हैं जिसके फलस्वरूप एल्कोहलिक पेय जैसे – ब्रांडी, व्हिस्की ,वाइन, बियर, रम आदि का उत्पादन किया जाता है।

  • यीस्ट Saccharomyces cerevisiae जिससे पावरोटी तैयार किया जाता है, का उपयोग इन पेय पदार्थों को तैयार करने में किया जाता है। इसके लिए माल्टिकृत धन्यों (malted cereals) एवं फलों के रस को यीस्ट द्वारा किण्वन कराया जाता है। इसके फलस्वरूप इथाइल अल्कोहल या एथेनॉल का निर्माण होता है जिसका जरूरत के अनुसार या तो आसवन (distillation) किया जाता है या इसके बिना ही पेय तैयार किया जाता है।
  • पेय पदार्थों जैसे – व्हिस्की, रम तथा ब्रांडी का उत्पादन किण्वन रस से आसवन के बाद जबकि बीयर तथा वाइन का उत्पादन बिना आसवन के होता है। किण्वन तथा विभिन्न प्रकार के संसाधन के चलते एल्कोहलिक पेय की गुणवत्ता में भिन्नता होती है।
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चित्र 1 :- किण्वन द्वारा बना पेय पदार्थ।

2. प्रतिजैविक (Antibiotics) :-

औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीव का उपयोग प्रतिजैविक के निर्माण में भी होता है।

  • प्रतिजैविक (एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ) का निर्माण सूक्ष्मजीवों के उपापचयी (metabolic) क्रियाओं द्वारा होता है जो किसी अन्य सूक्ष्मजीवों के लिए हानिकारक या विरोधी होता है।
  • 1928 में पहला एंटीबायोटिक के रूप में पेनिसिलिन (penicillin) की खोज सर्वप्रथम एलेग्जेंडर फ्लेमिंग ने पेनिसिलियम नोटेटम कवक से की थी।
  • फ्लेमिंग ने Staphylococci नामक जीवाणु पर कार्य करने के दौरान पाया कि जीवाणु के चारों ओर पेनिसिलियम कवक (mould) की वृद्धि हो रही है तथा इनके द्वारा release chemical जीवाणु को नस्ट कर रहा है।
  • प्रथम प्रतिजैविक पेनिसिलिन के आविष्कार के बाद अलग-अलग सूक्ष्मजीवों से अनेक प्रतिजैविकों को तैयार करने में सफलता मिली। इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे – कली खांसी, लेप्रोसी, मलेरिया आदि भयानक रोगों के उपचार में सफलता मिली है।
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चित्र 2 :- प्रतिजैविक, सूक्ष्मजीव एवं उनके उपयोग।

3. रसायन, एंजाइम एवं अन्य जैव सक्रिय अणु :-

औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीव या जीवाणु का विभिन्न प्रकार के रसायनों , एंजाइम तथा अन्य जैव सक्रिय अणुओं के उत्पादन में व्यापक तौर पर उपयोग किया जाता है जो निम्नांकित है।

((a) अल्कोहल एवं एसीटोन :-

शर्करा के घोल से ब्यूटाइल अल्कोहल एवं एसीटोन का निर्माण क्लोस्ट्रीडियम एसीटोब्यूटाइलिकम नामक जीवाणु द्वारा किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन यीस्ट के प्रयोग से किया जाता है।

(b) कार्बनिक अम्ल :-

विभिन्न प्रकार के कार्बनिक अम्लों का निर्माण सूक्ष्मजीवों जैसे – जीवाणुओं के द्वारा किया जाता है। सिट्रिक अम्ल का उत्पादन एक कवक ऐस्परजिलस नाइगर द्वारा ब्यूट्रिक अम्ल का उत्पादन क्लॉस्ट्रीडियम ब्यूटैरिकम जीवाणु से एवं लैक्टिक अम्ल का उत्पादन लैक्टोबैसिलस जीवाणु द्वारा किया जाता है।

(c) एंजाइम :-

कपड़ों की धुलाई में लाइपेज एंजाइम का प्रयोग किया जाता है। यह एक अपमार्जक (detergent) की तरह कपड़ों से तेल के दाग को हटा देता है। फल-रस को साफ करने में पेक्टीनेजेज एवं प्रोटिएजेज एंजाइम का उपयोग किया जाता है। इन एंजाइमों को सूक्ष्मजीवों से उत्पन्न किया जाता है।

  • हृदयाघात का मुख्य कारण हमारे रुधिर की वाहिकाओं में थक्के का जमना है। इसे हटाने में streptokinase नामक एंजाइम का प्रयोग किया जाता है। यह एंजाइम स्ट्रैप्टॉकोक्कस जीवाणुओं को आनुवंशिक इंजीनियरिंग द्वारा रूपांतरित करने के बाद तैयार किया जाता है।
(d) अन्य जैव सक्रिय अणु :-

एंजाइम के अतिरिक्त अन्य सक्रिय अणु की सूक्ष्मजीव से उत्पन्न किए जाते हैं। Trichoderma polysporum नामक कवक से एक जैव सक्रिय अणु साइक्लोस्पोरिन A मनाया जाता हैै इसका प्रयोग वैसे रोगियों मैं किया जाता है जिसके शरीर के अंगों का प्रत्यारोपण होता है।

  • एक यीस्ट मोनोस्कस परप्यूरियस से स्टैटिन व्यापक रूप में तैयार किया जाता है जो मानव रक्त के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में बहुत प्रभावी हैं। यह उस क्रिया को प्रभावित करता है जिसके द्वारा कोलेस्ट्रोल का संश्लेषण होता है।
4. सिरका उद्योग (Vinegar industry) :-

सिरका का निर्माण शर्करा घोल में एसीटोबेक्टर एसेटी नामक जीवाणु के प्रयोग से होता है। ऑक्सीकरण की क्रिया द्वारा यह कार्य सपन्न होता है।

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