ऊतक संवर्धन (Tissue culture) :-
किसी निश्चित संवर्धन माध्यम में जब पौधे की किसी भाग के ऊतक के संवर्धन से नए पौधे उत्पन्न किए जाते हैं, तब उसे ऊतक संवर्धन कहते हैं।
सर्वप्रथम 1898 में हैबरलैंट ने वर्धी कोशिकाओं को पोषक माध्यम में संवर्धन कराने का प्रयास किया था।
हैनिग ने 1904 में मूली वंश केे परिपक्व भ्रूण को अनुकूल परिस्थितियों में संवर्धित करवाया तथा उनकी पौधे बनाई। नुडसन ने 1922 में आर्किड की बीजों को पोषक माध्यम पर उगाया।
स्टीवार्ड एवं उनके सहयोगियों नेेेेेे गाजर की जड़ के ऊतकों का उपयोग ऊतक संवर्धन हेतु किया। प्रारंभिक अवस्था में वृद्धि कम थी, परंतु नारियल के दूध का उपयोग जब संवर्धन माध्यम में किया गया तो वृद्धि अधिक हुई।
ऊतक संवर्धन माध्यम (Tissue Culture medium) :-
जब पौधों को कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में पोषक माध्यम पर उगाया जाता है उस समय वे माध्यम में उपस्थित पोषक तत्व पर निर्भर रहते हैं। पौधों की अलग-अलग प्रजातियों की पोषक तत्व की आवश्यकता अलग-अलग होती है। इस कारण कई प्रकार के पोषक माध्यम ऊतक संवर्धन के लिए वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए है। पोषक माध्यमों में प्रमुख है-
- White’s medium
- Murashige and Skoog medium
- Nagata and Takebe medium
- Nitch medium
- पोषक माध्यम तरल अथवा अर्द्धठोस हो सकता है। पोषक माध्यम में एगर-एगर मिला देने पर इसे अर्द्धठोस में बदला जा सकता है। सामान्य पोषक माध्यम में मुख्य पोषक तत्व जैसे – अकार्बनिक लवण, कार्बनिक यौगिक एवं विटामिन के अतिरिक्त Auxin, kinetin जैसे वृद्धि नियंत्रक भी मिश्रित किए जाते है। पोषक माध्यम में प्राकृतिक पादप सारसत (extracts) जैसे नारियल का दूध, यीस्ट सारसत भी मिलाया जाता है।
- सूक्ष्मजीव पोषक माध्यम में प्रारंभ से ही उपस्थित हो सकते हैं। इन्हें नष्ट करने के लिए पोषक माध्यम को आटोक्लेव किया जाता है। माध्यम को कांच के फ्लास्क, कल्चर ट्यूब में डालकर ऑटोक्लेव में 15 से 20 मिनट तक 120 डिग्री सेल्सियस पर उबाला जाता है।
- कोशिकाओं, ऊतकों, पादप अंगों का पत्रे संवर्धन (in vitro) तभी संभव है जब पोषक माध्यम में सभी तत्व विद्यमान होते हैं। पोषक माध्यम में अकार्बनिक तथा कार्बनिक पोषक तत्व होते हैं। आवश्यक वृद्धि हार्मोन उसमें मिलाए जाते हैं।
- ऊतक संवर्धन के लिए अजर्म दशाओं (aseptic conditions) का होना आवश्यक है। पोषक माध्यम के संदूषण (contamination) के कारणों में पोषक माध्यम, संवर्धन में काम आने वाले कांच के सामान, आवश्यक उपकरण, संवर्धन कक्ष का वातावरण तथा ऊतक को स्थानांतरित करने के स्थान मुख्य है।
ऊतक संवर्धन तकनीक (Tissue Culture technique) :-
पौधे के जिस भाग को संवर्धन के लिए प्रयोग किया जाता है उसे एक्सप्लांट कहते हैं। एक्सप्लांट जड़, तना, पत्ती का कोई एक भाग हो सकता है या बीज, भ्रूण, भ्रुणपोष, बीजांडकाय, परागकोष या प्रोटोप्लास्ट भी हो सकता है।
- एक्सप्लांट को कल्चर ट्यूब या फ्लास्क में रखे गए पोषक माध्यम पर संरोपित (inoculate) कर दिया जाता है। यह संपूर्ण क्रिया रोगाणुरहित कक्षों अथवा उष्मयान (20 से 30 डिग्री सेल्सियस) कक्षों में संपन्न कराया जाता है।
- संरोपित कोशिकाओं का समूह में विभाजित होकर ऊतकों का एक समूह बनाता है। ऊतकों के इस असंगठित समूह को कैलस करते हैं। कैलस को सबकल्चर कर ज्यादा कैलाई बनाए जाते हैं। कैलस से सीधे जड़, तना या embryoids बनाने के लिए विभिन्न पोषक माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।
- कैलस को बनाने और उसकी वृद्धि के लिए विभिन्न वृद्धि हार्मोन का उपयोग किया जाता है। इसके लिए पोषक माध्यम में auxin, 2, 4-D और cytokinin का उपयोग किया जाता है। जब इस प्रकार के माध्यम पर एक्सप्लांट को समर्पित किया जाता है तब उसकी कोशिकाएं बड़ी तेजी से विभाजित होना शुरू हो जाती है और दो-तीन सप्ताह के अंदर कैलस मास प्राप्त हो जाता है।
- कैलस के विभेदीकरण से जड़, तना तथा अंत में पौधा बनता है जिसे मिट्टी में लगा लिया जाता है।