आनुवंशिक अभियांत्रिकी तथा आनुवंशिक अभियांत्रिकी के यंत्र क्या – क्या हैं?

आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic engineering) :

आनुवंशिक अभियांत्रिकी तकनीक द्वारा किसी जीव से DNA निकालकर किसी अन्य जीव (host) के DNA या जीन्स के साथ मिला कर recombinant DNA का निर्माण किया जाता है, जिससे host के फीनोटाइप में परिवर्तन हो जाता है।

  • First recombinant DNA का निर्माण Salmonella typhimurium जीवाणु के plasmid (circular extra chromosomal DNA) में antibiotic resistance gene के जुड़ने से हुआ था।
  • आनुवंशिक अभियांत्रिकी की शुरुआत 1973 में हुई थी जब स्टेनले कोहेन तथा हरबर्ट बॉयर ने Escherichia coli (E. coli) के plasmid में बाहरी DNA को स्थानांतरित किया था। E. coli एक bacterium है, जो Salmonella का संबंधी है।
  • 1953 में वाटसन और क्रिक ने DNA की सरंचना का पता लगाया था जिसने आनुवंशिक अभियांत्रिकी की नींव डाली थी।
  • 1971 में राइजोबियम से Nitrogen fixing (Nif) Gene को अन्य जीवाणु में स्थानांतरित किया गया था।
  • 1973 में पहला सफलतापूर्वक जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया था।
  • पादप तथा जंतु प्रजनन में उपयोग होने वाले पारंपरिक संकरण (hybridisation) से प्रायः वांछनीय जीन के साथ – साथ अवांछनीय जीन (undesirable genes) भी प्रवेश कर जाते हैं। इस कमी को दूर करने के लिए आनुवंशिक अभियांत्रिकी तकनीक का उपयोग किया जाता है।

आनुवंशिक अभियांत्रिकी के यंत्र (Tools of genetic engineering) : –

जेनेटिक इंजीनियरिंग या recombinant DNA technology के निम्नलिखित यंत्र होते हैं –

  1. ऊतक या कोशिका :– इसमें वांछित DNA विद्यमान होता है।
  2. प्रतिबंधन एंजाइम (Restriction enzyme) :– इसको मॉलिक्यूलर सीजर्स भी कहते हैं। इस प्रकार के एंजाइम DNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है।
  3. Polymerase एंजाइम्स :- इस एंजाइम का उपयोग in vitro method से gene or DNA की कई copies तैयार करने में किया जाता है।
  4. लाइगेज (Ligase) :– यह एंजाइम DNA के कटे हुए टुकड़ों को Plasmid में जोड़ता है।
  5. क्लोनिंग संवाहक (Cloning vectors) :– इसके माध्यम से कटे हुए DNA को स्थानांतरित किया जाता है।

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