आदिपृथ्वी, आदिवायुमंडल तथा आदिसमुद्र पर टिप्पणी

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आदिपृथ्वी (Primitive earth) :-

ऐसा अनुमान किया जाता है कि Milky way galaxy के solar system में पृथ्वी का निर्माण आज से लगभग 4.5 billion years पूर्व हुआ था।

  • आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य एवं ग्रहों की उत्पत्ति एक अत्यंत गर्म एवं तीव्र गति से घूमते हुए कॉस्मिक धूल एवं गैसों के बादल के गोले से एक ही साथ हुआ।
  • बादल का गोला मुक्त परमाणुओं का बना था जिसमें अधिकांशतः हाइड्रोजन परमाणु थे। घूर्णन एवं गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरुप यह बादल का गोला पीचककर चपटी एवं गोल तश्तरी के आकार का हो गया।तत्पश्चात यह टूट गया, जिससे अनेक घूर्णी पिंड बन गए। इन्ही में एक आदिपृथ्वी भी थी। मध्य भाग सूर्य बन गया।
  • आदि पृथ्वी पर atmosphere नहीं था। गुरुत्वाकर्षण के कारण लोहा और निकेल आदिपृथ्वी के बिचो-बीच एकत्र होने लगे जो अब भी पृथ्वी के इस भाग में उपस्थित है, यह आदिपृथ्वी का सबसे आंतरिक भाग बना। उनसे हल्के तत्व जैसे – एलुमिनियम, सिलिकन, फास्फोरस, सल्फर इत्यादि ने उनके चारों ओर एकत्र होकर मध्य भाग का निर्माण किया। सबसे हल्के तत्व जैसे- हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन इत्यादि पृथ्वी के बाहरी भाग अर्थात वायुमंडल का निर्माण किया।

आदिवायुमंडल (Primitive atmosphere) :-

पृथ्वी के सबसे हल्के तत्वों से आदिवायुमंडल का निर्माण हुआ। आदिवायुमंडल में हाइड्रोजन परमाणुओं की बहुलता थी तथा वे सर्वाधिक क्रियाशील थे। उन्होंने ऑक्सीजन, नाइट्रोज एवं कार्बन से संयोग कर क्रमशः जल, अमोनिया तथा मेथेन का संश्लेषण किया।

आदिसमुद्र (Primitive sea) :-

ज्यों- ज्यों आदिपृथ्वी ठंढी होती गई, वायुमंडल का जलवाष्प भी ठंढा होकर जमने लगा। फलस्वरुप, जलावृष्टि हुई। धीरे-धीरे जल पृथ्वी के चारों ओर समुद्र के रूप में एकत्र होता गया। इसमें अनेक पदार्थों के अतिरिक्त कार्बनिक यौगिक भी घुलकर संचित होते गए। इन पदार्थों के घूलने से एक ऐसी स्थिति का प्रादुर्भाव हुआ जिसमें जीव उत्पन्न हो सके। आदिसमुद्र के जल ने अणुओं की अभिक्रिया के लिए एक उत्तम माध्यम प्रदान किया और इस प्रकार रासायनिक विकास आगे संभव हुआ।

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