आणविक निदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

आणविक निदान

आणविक निदान (Molecular Diagnosis) :-

किसी रोग का पता लगाने के लिए पैथोलॉजी लैब में टेस्ट कराया जाता है जिसमे ब्लड एवं यूरीन का विश्लेषण (Analysis) किया जाता है। इस टेस्ट के आधार पर रोग के प्रभावी उपचार के लिए प्रारंभिक पहचान तथा उसके रोगक्रियाविज्ञान (Pathophysiology) को समझना आणविक निदान कहलाता है।

रोग के प्रारंभिक पहचान के लिए आणविक निदान में निम्नालिखित का उपयोग किया जाता है।

पॉलीमेरेज चैन रिएक्शन (PCR) :-

DNA की बहुत कम मात्रा के साथ जब DNA पॉलीमरेज एंजाइम, प्राइमर्स (Short segments of RNA) तथा MgCl₂DMSO को मिलाकर थर्मल साइक्लर में रिएक्शन किया जाता है तब बहुत सूक्ष्म मात्रा में उपलब्ध DNA कई गुना प्रवर्धित (Amplify) हो जातें है। इस अभिक्रिया को PCR कहते हैं।

MB PCR components
चित्र :- पॉलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया

PCR का उपयोग :-

  • PCR की मदद से रोग जनक जीवों के न्यूक्लिक अम्ल के प्रवर्धन द्वारा डायग्नोसिस किया जाता है।
  • जिन रोगियों में AIDS का संदेह होता है उनमें HIV की पहचान हेतु PCR का उपयोग किया जाता है।
  • PCR का उपयोग कैंसर से पीड़ित रोगियों की जीन में होने वाले उत्परिवर्तनों (Mutations) का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।

ELISA टेस्ट :-

यह तकनीक एंटीजन-एंटीबॉडी के सिद्धांत पर आधारित है। रोग जनकों के द्वारा उत्पन्न संक्रमण की पहचान एंटीजेंस (जैसे- प्रोटीन, ग्लाइकोप्रोटीन) द्वारा की जाती है। रोग जनकों द्वारा संश्लेषित एंटीबॉडीज की उपस्थिति द्वारा रोगाणुओं का पता लगाया जाता है।

elisa med
चित्र :- एंटीजन – एंटीबॉडी रिएक्शन

ELISA टेस्ट का प्रयोग जिन बीमारियों के पता लगाने में किया जाता है उनमें प्रमुख है :–

  • हेपेटाइटिस (Hepatitis)
  • STD (Sexually Transmitted Diseases)
  • रूबेला विषाणु (Rubella Virus) का संक्रमण
  • थाइरॉइड डिसऑर्डर्स
  • एड्स

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