हेपेटाइटिस (Hepatitis) :-
यकृत में वायरस के संक्रमण से हेपेटाइटिस (Hepatitis) रोग होता है। अधिकांश लोगों को अधिक शराब पीने से भी यह रोग होता है। Hepatitis virus कई प्रकार के होते हैं इन्हें strain कहते हैं। Virus का नाम Hepatitis के प्रकार पर दिया गया है जैसे Hepatitis A strain A से होता है, Hepatitis B strain B से होता है। इसी तरह Hepatitis C, D, E, F तथा G strain C, D, E, F, तथा G से होता है।
- Hepatitis A दूषित भोजन या पानी द्वारा संक्रमण से होता है।

- Hepatitis B रुधिर , लार आदि के संक्रमण द्वारा होता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण (Symptoms of Hepatitis) :-
- इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति का यकृत बड़ा हो जाता है।
- हेपेटाइटिस का प्रधान लक्षण है त्वचा एवं आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना। इसे प्रचलित भाषा में हम जौंडिस भी कहते हैं। रुधिर में बिलीरूबिन नामक पित कण की अधिक मात्रा के कारण रोगी की संपूर्ण शरीर एवं आंखों में पीलापन आ जाती है।
- भिन्न-भिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस के भिन्न-भिन्न लक्षण होते हैं लेकिन सिर दर्द, जॉन्डिस, सामान्य बुखार एवं गाढ़ा पीला रंग का मूत्र इन सभी के साधारण लक्षण है।
नियंत्रण (Control) :-
- अधिक वसा (तेल, घी) अधिक प्रोटीन तथा अधिक मिर्च-मसाला युक्त भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अति साधारण कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करना चाहिए।
- कभी-कभी इंटरफेरॉन की सुई लगानी चाहिए।
हेपेटाइटिस के रोकथाम (prevention of Hepatitis) :-
- अति स्वच्छता एवं साधारण दैनिक जीवन व्यतीत करना चाहिए।
- सर्वदा पानी को UV- किरणों से साफ कर पीना चाहिए।
- ईख का रस, मूली के साथ गुड़ का सेवन करना चाहिए।
- परिवार के सभी सदस्यों को भोजन करने के पहले तथा भोजन करने के बाद में साबुन -पानी से हाथ धो लेना चाहिए।
- हेपेटाइटिस बी का टीका लगाकर रोग की रोकथाम करें।
- रुधिर की जांच के पश्चात ही उस रुधिर को चढ़ाना चाहिए।
- सूई देने में केवल एक बार प्रयोज्य सूई का ही व्यवहार करना चाहिए।



