
मानव में लिंग निर्धारण (Sex determination in humans) :-
मानव के प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र पाए जाते हैं जिसमें 22 जोड़े को अलिंग गुणसूत्र (Autosomes) तथा अंतिम 23वें जोड़ा को लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) कहते हैं। द्विगुणित अवस्था में मादा का लिंग गुणसूत्र XX तथा नर का लिंग गुणसूत्र XY होते है। नर के इन्हीं गुणसूत्रों के द्वारा मानव में लिंग निर्धारण होता है।
- मानव में युग्मकों (gametes) के निर्माण के समय अर्धसूत्री कोशिका विभाजन होता है जिसके फलस्वरूप नर युग्मक – शुक्राणु तथा मादा युग्मक – अंडाणु में गुणसूत्र अगुणित हो जाते हैं, इस प्रकार शुक्राणु में 22 + X तथा 22 + Y गुणसूत्र जबकि अंडाणु में 22 + X गुणसूत्र उपस्थित होते हैं।
- जब पिता का युग्मक माता के युग्मक को निषेचित करते हैं तो इन से उत्पन्न संतानों में 50% पुत्री (daughters) तथा 50% पुत्र (sons) होने की संभावना रहती है । मानव में लिंग निर्धारण को निम्नांकित रूप में दर्शाया जा सकता है –

- अन्य जीवों जैसे – पक्षियों में लिंग निर्धारण हेतु जिम्मेवार गुणसूत्र को Z एवं W गुणसुत्र कहा जाता है। नर पक्षियों में ऑटोसोम के अतिरिक्त एक जोड़ी Z गुणसूत्र लिंग निर्धारण के लिए रहती है जबकि मादा पक्षियों में ऑटोसोम के अतिरिक्त लिंग निर्धारण के लिए दो अलग अलग प्रकार के गुणसूत्र (Z एवं W) पाए जाते हैं।
बहुत से कीटों में लिंग निर्धारण की क्रिया विधि X0 तरह की होती है, इनके सभी अंडो में अन्य गुणसूत्र के अलावा एक अतिरिक्त X गुणसूत्र पाया जाता है जबकि कुछ शुक्राणुओं में यह अतिरिक्त X गुणसूत्र पाया जाता है एवं कुछ में नहीं पाया जाता है। परिणामस्वरूप वैसे शुक्राणु जिनमें X गुणसूत्र रहते हैं उनके निषेचन से जो कीट बनते हैं वे मादा बनते हैं। जबकि X गुणसूत्र रहित शुक्राणु के निषेचन से नर कीट बनते हैं। इस प्रकार X गुणसूत्र की भूमिका इन कीटों के लिंग निर्धारण में होती है।








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