बायोपाइरेसी (Biopiracy) :-
जब किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना अनुमति लिए तथा क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग किया जाता है तब वह बायोपाइरेसी कहलाता है।
जैसे :- अमेरिकन कंपनी एली लिली ने लाइसेंस प्राप्त कर मेडागास्कर देश के निवासी से सदाबहार (Vinica rosea) नामक पौधे को प्राप्त किया, परंतु उस देश को सदाबहार पौधे के बदले में कोई राशि प्राप्त नहीं हुई। जो बायोपाइरेसी का उदाहरण है।
- सदाबहार पौधे से विनक्रिस्टिन (Vincristine) और विनब्लास्टिन (Vinblastine) जैसे अल्केल्वायड प्राप्त होता है जिनका उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है।
- विश्व के विकसित देश औद्योगिक और आर्थिक दृष्टि से संपन्न है, परंतु विकासशील देश जैव विविधता की दृष्टि तथा परंपरागत ज्ञान से संपन्न है। जैव विविधता सम्पन्न राष्ट्र बिना पूर्व अनुमति के इस विविधता के उपयोग पर प्रतिबंध के लिए नियम बना रहे हैं।
- भारत में भी जैव विविधता अधिनियम बनाया गया है। इंडियन पेटेंट बिल का संशोधन भी पारित किया जा चुका है।
बायोप्रोस्पेक्टिंग (Bioprospecting) :-
व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न जीवों से प्राप्त वैसे यौगिक जो परंपरागत चिकित्सा पद्धति में कभी प्रयोग नहीं किया गया हो, उसे बायोप्रोस्पेक्टिंग कहते हैं।
बायोप्रोस्पेक्टिंग के विभिन्न चरण निम्नलिखित हैं :–
बायोप्रोस्पेक्टिंग पौधों तथा जंतुओं के प्रयोग एवं विशेषताओं के बारे में स्वदेशी ज्ञान पर आधारित है। इसमें बायोपाइरेसी द्वारा स्वदेशी प्रपत्रों के ज्ञान का शोषण विनियोग (Appropriation) भी शामिल है।