पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) :-
जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तथा आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है, तब विरल माध्यम में प्रकाश की किरण का अपवर्तन नहीं होता है। संपूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही लौट आती है। इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन करते हैं।
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- जब प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है, तो वे अपवर्तन के कारण अभिलंब से दूर विचलित हो जाती है, अर्थात अपवर्तन कोण (r) का मान आपतन कोण (i) से बड़ा हो जाता है। जैसे-जैसे आपतन कोण का मान बढ़ाया जाता है वैसे-वैसे अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ता जाता है। एक अवस्था ऐसी आती है, जब अपवर्तित किरण दोनों माध्यमों के संपर्की समतल में ही चलने लगती है, अर्थात अपवर्तन कोण का मान 90⁰ हो जाता है। अब यदि आपतन कोण को और बढ़ाया जाए, तो दूसरी ओर पारदर्शक माध्यम की उपस्थिति में भी किरणें उस माध्यम में अपवर्तित नहीं होती है, बल्कि पूर्ण रूप से परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही परावर्तन के नियमों का पालन करते हुए लौट आती है। इसी घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते है।
- 90⁰ अपवर्तन-कोण के संगत के आपतन-कोण C को क्रांतिक कोण कहा जाता है।
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के लिए आवश्यक शर्तें :-
- प्रकाश की सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर चलना चाहिए।
- आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए।
क्रांतिक कोण तथा अपवर्तनांक में संबंध (Relation between Critical angle and Refractive index) :-
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मान लिया कि माध्यम 1 और 2 के निरपेक्ष अपवर्तनांक क्रमशः n₁ एवं n₂ है तथा माध्यम 1 की अपेक्षा माध्यम 2 प्रकाशतः सघन है।
यदि इनके लिए क्रांतिक कोण C हो, तो आपतन कोण i के लिए अपवर्तन कोण 90 डिग्री होगा।
अतः स्नेल के नियम से,
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चूंकि माध्यम के अपवर्तनांक (n) का मान प्रकाश के वर्ण पर भी निर्भर करता है। अतः किसी माध्यम के लिए क्रांतिक कोण C का मान भी प्रकाश के वर्ण पर निर्भर करता है।
कांच के लिए n = 1.5, अतः यदि कांच के लिए क्रांतिक कोण C हो, तो
sin C = 1/1.5 = 0.666 या C = 42⁰ (लगभग)
कुछ सामान्य पारदर्शी माध्यमों के क्रांतिक कोण :-
पारदर्शी माध्यम क्रांतिक कोण
पानी 48.75⁰
क्राउन कांच 41.14⁰
घना फ्लिंट कांच 37.31⁰
हीरा 24.41⁰