पारिस्थितिकी क्या है? इसकी शाखाएं तथा कारक कौन-कौन सी हैं ?

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पारिस्थितिकी ( Ecology) :-

विभिन्न प्रकार के जीवों तथा उनके बाहरी वातावरण के बीच पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को पारिस्थितिकी कहते हैं।

सर्वप्रथम एच रिटर (H. Reiter) नामक एक जंतुवैज्ञानिक (Zoologist ) ने 1868 में ”इकोलॉजी” शब्द का प्रयोग किया था।

सन् 1870 में एरंस्ट हेकल (Ernst Haeckel) के अनुसार वातावरण के कार्बनिक संबंधों का अध्ययन इकोलॉजी कहलाता है।

ओडम (Odum) के अनुसार – इकोलॉजी जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पारिस्थितिक तंत्र की संरचना तथा उसके कार्यों का अध्ययन किया जाता है।

इकोलॉजी की शाखाएं (Branches of Ecology) :-

इसकी दो शाखाएं हैं –

1. स्वपारिस्थितिकी या ऑटोइकोलॉजी (Autecology) :-

एक ही जीव या व्यष्टि (individual) या एक ही जाति के अनेक जीवों का वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को ऑटोइकोलॉजी कहते हैं।

2. समुदाय पारिस्थितिकी या सिनइकोलॉजी (Synecology) :-

जीवों के विभिन्न समुदाय (Community )और वातावरण के बीच पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को सिनइकोलॉजी कहते हैं।

विभिन्न प्रकार के जीवों की आबादियां आपस में मिलकर समुदाय (Community ) का निर्माण करती है।

पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem ) के आधार पर इकोलॉजी के प्रकार –

  1. Terrestrial Ecology

2. Freshwater Ecology

3. Marine Ecology etc.

पारिस्थितिक कारक (Ecological factors) :-

पारिस्थितिक कारकों को निम्नलिखित चार भागों में बांट सकते हैं –

1. जलवायु-संबंधी कारक (climatic factors)

2. मृदीय कारक (Edaphic factors)

3. भू- आकृतिक कारक (Physiographic factors )

4. जैविक कारक (Biotic factors)

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