द्वि निषेचन (Double Fertilization) किसे कहते हैं। द्वि निषेचन में क्रमवार क्रियाएं क्या क्या हैं। द्वि निषेचन का क्या महत्व है।

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द्वि निषेचन (Double Fertilization) :-

निषेचन की क्रिया में नरयुग्मक का अंड कोशिका से मिलकर द्विगुणित युग्मनज (Diploid zygote) बनाना तथा द्विगुणित केंद्रक का नरयुग्मक से संलयन “द्वि निषेचन” कहलाता है।

द्वि निषेचन
  • द्वि निषेचन आवृत्तबीजी (Angiosperm) पौधों में होने वाले एक जटिल निषेचन की क्रिया है।
  • पराग नलिका (Pollen tube) जब भ्रूणकोष के अंदर पहुंचते हैं तब उनमें उपस्थित नरयुग्मक (Male gametes) बाहर निकल जाते हैं। इनमें से एक नरयुग्मक अंड कोशिका से संलयन (Fusion) करता है और दूसरा नरयुग्मक ध्रुवीय केंद्रकों (Polar nuclei) के साथ संलयन करता है।
  • जब एक नरयुग्मक अंड कोशिका से संलयन करता हैं तो इसके फलस्वरूप युग्मनज बनता है। इस क्रिया को युग्मक संलयन (Syngamy) या सत्य निषेचन (True fertilization) कहते हैं।
  • दूसरे नरयुग्मक जब ध्रुवीय केंद्रकों या द्वितीयक केंद्रकों से संलयन करता है तब इसके फलस्वरूप प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक (Primary Endosperm nucleus) बनता है। चूँकि इसमें तीन केंद्राकों का संलयन होता है जिससे त्रिगुणित (Triploid) केंद्रक बनता है। इसलिए इस प्रकार के संलयन को त्रिसंलयन (Triple fusion) कहते हैं।

द्वि निषेचन में क्रमवार क्रियाएं :-

द्वि निषेचन में क्रमवार क्रियाएं निम्नलिखित हैं :–

(1). परागकणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण (Germination of Pollen grains on Stigma) :-

  • परागकणों का वर्तिकाग्र पर गिरने के बाद जल अवशोषित होने लगता है जिसके कारण परागकण फूल जाते हैं और इनकें अंतश्चोल (Intine) पराग नलिका के रूप में बाहर निकलने लगते हैं।
  • सामान्यत: एक परागकण से केवल एक पराग नलिका निकलती है। इस प्रकार के पराग नलिका को एकनलिकीय (Monosiphonous) पराग नलिका कहते हैं।
  • कभी-कभी एक परागकण से एक से अधिक पराग नलिकाएँ निकलती है। इस प्रकार के पराग नलिका को बहुनलिकीय (Polysiphonous) पराग नलिका कहते हैं।
  • पराग नलिका वर्तिकाग्र से वर्तिका में आती है तथा वहां से बीजांडद्वार में प्रवेश कर जाती है।

(2). पराग नलिका का बीजांड में प्रवेश (Entry of Pollen tube into Ovule) :-

  • पराग नलिका भ्रूणकोष में तीन प्रकार से प्रवेश कर सकती है :-
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(A) बीजांडद्वार द्वारा (Through Micropyle) :-

  • ऐसे प्रवेश में पराग नलिका बीजांडद्वार से प्रवेश करती है।
  • इसे पोरोगैमी कहते हैं।
  • अधिकांश आवृत्तबीजी पौधों में पराग नलिका बीजांडद्वार से ही प्रवेश करती है।

(B) चैलाजा द्वारा (Through Chalaza) :-

  • इसमें पराग नलिका चैलाजा से होती हुई प्रवेश करती है।
  • इस प्रकार के प्रवेश को चैलेजोगैमी कहते हैं।
  • पराग नलिका का इस प्रकार का प्रवेश बड़ा झाऊ नामक पौधों में होता है।

(C) बीजांडवृंत द्वारा (Through Funicle) :-

  • इसमें पराग नलिका बीजांड में बीजांडवृंत या आध्यावरण (Integument) द्वारा प्रवेश करती है।
  • इसे मीजोगैमी कहते हैं।
  • ऐसा प्रवेश कद्दु या कुकुरबीटा, पिस्टेसिया आदि के पौधों में होता हैं।

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द्वि निषेचन का महत्व (Significance of Double Fertilization) :-

  1. द्वि निषेचन के फलस्वरुप भ्रूणपोष का निर्माण होता है। और भ्रूणपोष ही भ्रूण को भोज्य पदार्थ उपलब्ध कराता है।
  2. द्विनिषेचन के फलस्वरुप आवृत्तबीजी पौधों में विकसित भ्रूण वाला बीज बनता है।

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