जैव विविधता को परिभाषित करें तथा इनके प्रकारों के बारे में संक्षेप में लिखें।

a058e58d d465 438c 92df 3cce796006a2

जैव विविधता (Biodiversity) :-

पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी पौधों, जंतुओं तथा सूक्ष्मजीवों की विविधता को जैव विविधता कहते हैं। जैव विविधता (Biodiversity) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1980 में नार्से तथा मैकमैनस (Norse and Mchmanus) ने किया, किंतु W. G. Rosen ने इसे परिभाषित किया था।

image1
चित्र :- जैव विविधता।

जैव विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity) :-

यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –

1. आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) :-

जाति या स्पीशीज के अंदर उपस्थित जीन्स (genes) के विभिन्नता को आनुवंशिक विविधता कहते हैं। जिस स्पीशीज में आनुवंशिक विविधता अधिक पाई जाती है उसके अंदर पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन के लिए अनुकूलन (Adaptation ) की क्षमता अधिक होती है।

2. जाति या स्पीशीज विविधता (species Diversity) :-

किसी क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न स्पीशीज की संख्या जाति या स्पीशीज विविधता कहलाती है। स्पीशीज स्तर पर पादप और प्राणियों में विविधता पाई जाती है। भारत के पूर्वी हिमालय क्षेत्र तथा दक्षिणी घाट को हॉट स्पॉट (hot spot) कहते हैं जिसमे स्पीशीज विविधता अधिक पाई जाती है।

3. पारिस्थितिक विविधता (Ecological Diversity) :-

समुदाय तथा पारिस्थितिक तंत्र स्तर पर पाई जाने वाली विविधता को पारिस्थितिक विविधता कहते हैं। भारत के रेगिस्तान, वर्षावन, दलदल, नदियां, झीलें तथा समुद्र आदि में यह विविधता अधिक पाई जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Move to Top