ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) :-
पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि को जब विश्व स्तर पर व्यक्त किया जाता है तो इसे भूमंडलीय तापन या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। इसके कारण पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पिघलने लगते हैं जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ने लगता है तथा बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है।
- ग्लोबल वार्मिंग के लिए ग्रीनहाउस गैसों जैसे – कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, नाइट्रस ऑक्साइड आदि जिमेवार होते हैं। वायुमंडल में इन गैसों की सांद्रता बढ़ने से तापमान में अत्यधिक वृद्धि हो जाती हैं।
![ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडलीय तापन क्या है ? ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव तथा मुक्ति के उपायों का वर्णन करें। 2 Relative contribution of various greenhouse gases to total global warming NCERT Class](https://sciencevision.in/wp-content/uploads/2024/01/Relative-contribution-of-various-greenhouse-gases-to-total-global-warming-NCERT-Class.png)
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming) :-
- इसके कारण असंतुलित जलवायु परिवर्तन होता है। कहीं अधिक बाढ़ तो कहीं अधिक सुखा पड़ जाता है।
- इसके कारण रोग फैलाने वाले मच्छरों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होती है।
- इससे उत्पन्न बाढ़, सुनामी तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग अधिक बीमार पड़ते है जिससे मृत्यु दर में अधिक वृद्धि होती है।
ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति के उपाय :-
1. जीवाश्म ईंधन का कम से कम उपयोग :-
कोयला, पेट्रोलियम आदि को जीवाश्म ईंधन कहते है। इन्हे जलाने से ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनते हैं। अतः जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम से कम करना चाहिए।
2. वृक्षारोपन में वृद्धि :-
बड़े पैमाने पर वृक्षारोपन करने से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा घटती है, जिससे गर्मी कम पड़ती है।
3. ऊर्जा दक्षता में सुधार :-
ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों जैसे – सौर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का अधिक से अधिक उपयोग करने से जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम हो जाएगा। इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा भी घट जाएगी। जिसके कारण वायुमंडलीय तापन से मुक्ति मिलेगी।
4. जनसंख्या में कमी :-
मनुष्य के विभिन्न क्रियाकलापों जैसे – जीवाश्म ईंधन का अधिक से अधिक उपयोग करने, कल – कारखाने लगाने, पेड़ों की कटाई अधिक से अधिक करने आदि के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है। अतः इसे नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या को कम करना आवश्यक है।