पारिस्थितिकी क्या है? इसकी शाखाएं तथा कारक कौन-कौन सी हैं ?
पारिस्थितिकी ( Ecology) :- विभिन्न प्रकार के जीवों तथा उनके बाहरी वातावरण के बीच पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को पारिस्थितिकी […]
पारिस्थितिकी ( Ecology) :- विभिन्न प्रकार के जीवों तथा उनके बाहरी वातावरण के बीच पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को पारिस्थितिकी […]
डीएनए प्रतिकरण के मत :- (1). विक्षेपक मत (Dispersive theory) :- (2). संरक्षी मत (Conservative theory) :- (3). अर्धसंरक्षी मत
डाउन्स सिंड्रोम (Down’s Syndrome) :- जब किसी मनुष्य के 21वें जोड़े गुणसूत्र में एक गुणसूत्र की वृद्धि हो जाती है
डीएनए तथा आरएनए में अंतर निम्नलिखित हैं :– डीएनए (DNA) :– आरएनए (RNA) :–
जब किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना अनुमति लिए तथा क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग किया जाता है तब वह बायोपाइरेसी कहलाता है।
किसी रोग का पता लगाने के लिए पैथोलॉजी लैब में टेस्ट कराया जाता है जिसमे ब्लड एवं यूरीन का विश्लेषण (Analysis) किया जाता है। इस टेस्ट के आधार पर रोग के प्रभावी उपचार के लिए प्रारंभिक पहचान तथा उसके रोगक्रियाविज्ञान (Pathophysiology) को समझना आणविक निदान कहलाता है।
कटे हुए DNA को जिसके माध्यम से पोषी (Host) कोशिका में स्थानांतरित किया जाता है उसे क्लोनिंग संवाहक कहते है।
DNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने वाले एंजाइम्स को प्रतिबंधन एंजाइम्स (Restriction enzymes) कहते है। सन 1963 में सर्वप्रथम बैक्टीरिया E. coli से प्रतिबंधन एंजाइम का खोज किया गया था।
आनुवंशिक अभियांत्रिकी जैव प्रौद्योगिकी की वह शाखा है जिसके द्वारा किसी भी जीव से DNA निकालकर किसी अन्य जीव के DNA या जीन्स के साथ मिलाया जाता है।
चिकित्सा में जैव प्रौद्योगिकी तकनीक का प्रयोग कर सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी चिकित्सीय औषधियों का अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है। वर्तमान में 30 से अधिक रिकॉम्बीनेंट चिकित्सीय औषधियां विश्व स्तर पर स्वीकृत हो चुकी है जिनमें 12 औषधियां भारत में भी उपलब्ध हैं।
पारजीवी जंतु (Transgenic Animals) :- जब किसी जंतु के डीएनए में परिचालन द्वारा बाहरी जीन को प्रवेश कराया जाता है
जीन चिकित्सा (Gene therapy ) :- किसी जीव के आनुवंशिक रोग के उपचार हेतु एक या एक से अधिक सामान्य