हार्डी – वेनबर्ग संतुलन ( Hardy – Weinberg equilibrium) :-
यह सिद्धांत ब्रिटिश गणितज्ञ हार्डी और जर्मन चिकित्सक वेनबर्ग (1908) द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रस्तावित किया गया था। दोनों के विचारों को उनके नामों के आधार पर हार्डी – वेनबर्ग संतुलन कहा जाता है।
हार्डी – वेनबर्ग संतुलन के अनुसार जीन आवृत्तियां (gene friquencies) और जीनोटाइप आवृत्तियां (genotype friquencies) दोनों एक असीमित रूप से बड़ी अंतर-प्रजनन (interbreeding) आबादी में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थिर रहेंगी, जिसमें संगम अनियमित रूप से होता है।
- इसमें प्राकृतिक चयन (natural selection), प्रवास/अभिगमन (migration), आनुवंशिक संयोजन (genetic recombination), आनुवंशिक प्रवाह genetic drift) तथा उत्परिवर्तन (mutation) नहीं होता है।

जीन फ्लो या अभिगमन (gene flow or migration) :-
नई आबादी में नई जीन / alleles जुड़ते हैं तथा ये पुराने आबादी में घट जाते हैं। यदि यह बार – बार होता है तो जीन फ्लो या अभिगमन कहलाता है।
आनुवंशिक प्रवाह (genetic drift) :-
यदि जीन फ्लो संयोगवश (by chance) होता है तब इसे आनुवंशिक प्रवाह कहते हैं।
- कभी – कभी allele frequency का यह परिवर्तन आबादी के new sample में इतना भिन्न हो जाता है, कि वह नई प्रजातियाँ (species) बन जाते हैं।
- मौलिक अपवाहित (drifted) समष्टि/आबादी संस्थापक बन जाता है और इस प्रभाव को संस्थापक प्रभाव (Founder effect) कहा जाता है।
प्राकृतिक चयन (natural selection) :-
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमे बेहतर वंशानुगत विविधता (inheritable variation) को जनन के अधिक अवसर मिलते हैं। इसके फलस्वरूप संतति अधिक संख्या में उत्पन्न होते हैं।
- सूक्ष्म जीवों में किए गए प्रयोग दर्शाते है कि जब पूर्व स्थित लाभकारी उत्परिवर्तनों का चयन होता है तब परिणामस्वरुप नए फेनोटाइप प्राप्त होते हैं तथा कुछ पीढ़ी के बाद नई प्रजाति (new species/speciation) बन जाते हैं।
- प्राकृतिक चयन किसी भी आबादी को स्थायित्व कर सकता है। दिशात्मक परिवर्तन ला सकता है या विघटन (disruption) कर सकता है।
