नैतिक मुद्दे (Ethical Issues) :-
मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अन्य जीवों जैसे – चूहा, बंदर आदि पर विभिन्न प्रकार के परीक्षण करता है। इस तरह की परीक्षण के लिए कोई नियमावली नहीं बनी है। इस कारण जानवरों को मानवीय यातना झेलनी पड़ती है। अतः वैसे मानवीय क्रियाकलाप जो अन्य जीवधारियों के लिए असुरक्षात्मक हो, को रोकने के लिए कुछ नैतिक मुद्दे या मानदंडों की आवश्यकता है।
- आनुवंशिक रूपांतरण (Genetic modifications) जैविक उपयोगिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, परंतु ऐसे ट्रांसजेनिक जीवन को जब पारिस्थितिकी तंत्र में डाला जाता है तब लाभ के बजाय इसके हानिकारक परिणाम भी हो सकते हैं।
- भारत सरकार ने एक संगठन जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी गठित किया है। इसका मुख्य कार्य जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) शोध की वैधानिकता तथा GM जीवों का जनसेवकों के लिए सुरक्षित उपयोग का आकलन करना है।
- जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड (GMF) तथा जेनेटिकली मोडिफाइड मेडिसिन्स (GMM) का जनसेवा में उपयोग के लिए दिए गए एकाधिकार (पेटेंट) की भी समस्याएं सामने आ रही है।
जैसे – (1) बासमती धान अपने सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।अकेले भारत में धान की करीब 2 लाख किस्मों में बासमती की 27 किस्में भारत में सदियों से उगाई जाती है।
1977 में अमेरिकन कंपनी ने बासमती धान का एकाधिकार (पेटेंट) करा लिया जिसके बाद बासमती की विकसित किस्म का विक्रय का एक अधिकार केवल उस कंपनी को ही प्राप्त हो जाता है। इसके लिए भारत सरकार ने पहल की तथा उस पेटेंट को अमेरिकन कोर्ट के माध्यम से रद्द करवाया।
(2) नीम तथा हल्दी का प्रयोग भारतवर्ष में सदियों से औषधियों के रूप में हो रहा है तथा सभी प्रमुख ग्रंथों, आयुर्वेदिक पुस्तकों आदि में इसका उल्लेख है। 1995 में अमेरिका में नीम से एंटीफंगल एजेंट स्रावित (extract) करने का पेटेंट USA द्वारा किया गया था। भारत सरकार ने पेटेंट को निरस्त करने के लिए अमेरिकी कोर्ट में दावा किया। 2005 में यह पेटेंट रद्द हुआ। इस प्रकार नीम तथा हल्दी पर भारत का एक अधिकार स्थापित हो सका।