डायरिया :
डायरिया एक ऐसा रोग है जिसमें बार-बार पतला दस्त होता है, जो साधारणतः 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक होता है।
- यह आंत के संक्रमण से होता है, जिसके विभिन्न कारण हैं।
- यह प्रोटोजोआ, जीवाणुओं एवं विषाणु से संक्रमित व्यक्ति को होता है।
- इसके होने के अन्य कारण कुपोषण, दूषित भोजन, शराब एवं कुछ हार्मोन का कम स्राव आदि हो सकते हैं।
डायरिया रोग के लक्षण (Symptoms of Diarrhoea) :
डायरिया रोग के लक्षण निम्नालिखित हैं :
- दस्त और उल्टी बार-बार होना।
- शरीर में निर्जलीकरण (Dehydration) होना एवं रोगी को बार बार प्यास का अनुभव करना।
- रोगी के गाल का भीतरी भाग एवं नाक सूखने लगना।
- आंखें अंदर की ओर धंसने लगना।
- शरीर का वजन घटने लगना।
- सांसे लंबी-लंबी एवं तेजी से लेना।
- रोगी को बुखार एवं जोड़ों में दर्द होना।
डायरिया रोग का नियंत्रण (Control) :
डायरिया रोग को निम्नालिखित तरीको से नियंत्रित किया जा सकता है :
- रोगी को पूर्णतः विश्राम करना चाहिए।
- इलेक्ट्रल पउडरयुक्त द्रव का सेवन करना चाहिए।
- डायरिया में शरीर के अंदर निर्जलीकरण हो जाता है जिसकी क्षतिपूर्ति हेतु 200 ml पानी में एक चम्मच शर्करा एवं आवश्यक लवण मिश्रित करके सेवन करना चाहिए। ऐसे घोल को ORS (Oral Rehydration Solution) कहते हैं। इससे निर्जलीकरण बंद होता है।
- एंटीमाइक्रोबियल दवा का सेवन करना चाहिए।
- कच्चे केला को उबालकर उसमें हल्का नमक मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सेवन करना चाहिए, जो डायरिया को रोकने में काफी सहायक होता है।
डायरिया रोग के रोकथाम (Prevention of Diarrhoea) :
डायरिया रोग को निम्नलिखित तरीको से रोका जा सकता है :
- हमेशा शुद्ध भोजन एवं पेयजल का सेवन करना चाहिए।
- स्वच्छ बिछावन पर पूरी तरह लेट कर रोगी को आराम करना चाहिए।
- रोगी को फल एवं सब्जियों को अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल करना चाहिए।
- भोजन को ढक कर रखना चाहिए।
- भोजन करने के पहले साबुन से अच्छी तरह हाथ धो लेना चाहिए।