जैव विविधता के ह्रास (List of Biodiversity) :-
मनुष्य के विभिन्न क्रियाकलापों के कारण पृथ्वी की जैव विविधता का तेजी से ह्रास हो रहा है। IUCN की Red list के अनुसार विगत 500 वर्षों में लगभग 784 जीवों के स्पीशीज पृथ्वी से विलुप्त हो चुकी है।
विगत दशकों में विलुप्त होने वाले मुख्य प्रजातियां –
1. डोडो (Dodo) – मॉरीशस
2. स्टीलर्स काउ (Seller’s Cow) – रूस
3. थाईलैसीन (Thylacine) – ऑस्ट्रेलिया
4. शेर – बाली, जावन तथा कैस्पियन – अफ्रीका।
जैव विविधता के ह्रास का कारण (Causes of Biodiversity Losses) :-
1. आवासीय क्षति तथा विखंडन (Habitat loss and fragmentation) :-
आवासीय क्षति जैव विविधता के ह्रास का मुख्य कारण है। जैसे – उष्णकटिबंधीय वर्षावन। एक समय पृथ्वी के लगभग 14% भाग में उष्णकटिबंधीय वर्षावन थे, कृषि, लकड़ी तथा खनिज की प्राप्ति के लिए वर्षावनों का उपयोग होने के कारण अब मात्र 6% क्षेत्र ही वर्षावन शेष रह गए हैं।
भू-मंडल के सबसे बड़े वर्षा वन अमेजन (Amazon ), जिसे पृथ्वी का फेफड़ा भी कहा जाता है, में करोड़ों स्पीशीज पाई जाती है। अमेजन क्षेत्र में सोयाबीन की खेती तथा चारागाह के रूप में प्रयोग करने के लिए बड़े भू-भाग को काटकर साफ कर दिया गया है परिणाम स्वरुप जैव विविधता का अधिक से अधिक ह्रास हुआ है, जिससे अनेक स्पीशीज विलुप्त हो गई है।
2. अतिदोहन (Over-exploitation) :-
प्राकृतिक संपदा के अत्यधिक दोहन के कारण अनेक प्रजातियां विलुप्त हो गई है तथा अन्य जैसे – पैसेंजर कबूतर, स्टीलर्स सी काउ आदि प्राणियों की कुछ प्रजातियां अत्यधिक दोहन के कारण विलुप्त होने के कगार पर है।
3. विदेशी प्रजातियों का आक्रमण (Invasion of exotic species) :-
जब कोई नई स्पीशीज किसी क्षेत्र में प्रवेश करती है तब वह विदेशी कहलाती है। विदेशी स्पीशीज का आक्रमण कई स्पीशीज के विलुप्त होने का कारण बन जाती है। जैसे अफ्रीकन कैट फिश को भारत में प्रवेश करने के बाद भारतीय नदियों में पाई जाने वाली कैट फिश के अस्तित्व पर खतरा हो गया है।
4. सह-विलुप्तता (Coextinctions) :-
जब पौधे की एक प्रजाति विलुप्त होती है तब उस पर आधारित दूसरी जंतु और पादप प्रजातियां भी विलुप्त होने लगती है। जैसे – परागण करने वाले कीट तथा जिस पौधे में वह परागण करता है दोनों एक साथ विकसित होते हैं। यदि इनमें किट या पौधा कोई भी विलुप्त हुआ तब दूसरा जीव भी विलुप्त होने लगता है।