क्राॅसिंग ओवर

क्रॉसिंग ओवर और क्रॉसिंग ओवर के महत्व के बारे मे बताएl

क्राॅसिंग ओवर (Crossing Over) वैसी प्रक्रिया जिसमें एक गुणसूत्र पर स्थित जीन्स का एक समूह समजात गुणसूत्र पर स्थित समान जीनों के समूह द्वारा स्थान परिवर्तन कर लेता है, उसे विनिमय या क्रॉसिंग ओवर कहते हैं। क्रॉसिंग ओवर का महत्व (Importance of Crossing Over) क्रॉसिंग ओवर के महत्व निम्नलिखित हैं :

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मेंडल की वंशागति नियमों के अपवाद क्या – क्या हैं! अपूर्ण प्रभाविता क्या है।सहप्रभाविता क्या है। बहुविकल्पता क्या है। तथा सहलग्नता क्या होता है।

मेंडल की वंशागति नियमों के अपवाद निम्नलिखित हैं (Exceptions to Mendel’s Law of Inheritance) :- अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete dominance) :- जब विपरीत लक्षणों के जोड़े में एक लक्षण दूसरे लक्षण पर प्रभावी न होकर एक दूसरे पर पूर्ण रूप से प्रभावी हो जाता है अर्थात दोनों अपने-अपने लक्षण को आंशिक रूप से प्रकट करते हैं…

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मेंडल की सफलता के कारण क्या थे?(Reasons for Mendel’s success)

मेंडल की सफलता के कारण निम्नलिखित थे (Reasons for Mendel’s success) :- 1. मटर के पौधे का चयन (Selection of pea plant) :- पादप जगत में पाए जाने वाले लाखों पौधों में मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए केवल मटर के पौधे का ही चयन किया, क्योंकि मटर के पौधों में अनेक प्रकार के विपरीत…

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जनसंख्या-वृद्धि (population growth) नियंत्रण के उपाय क्या क्या हैं?

जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण के उपाय (Measures to check population growth) :- कृत्रिम प्रक्रिया से संतानों की उत्पत्ति को नियंत्रित करना संतति नियंत्रण कहलाता है, संतति नियंत्रण से ही जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण संभव होता है। परिवार नियोजन केंद्र में कार्यरत चिकित्सक या अन्य कर्मचारी जनता को संतति नियंत्रण के विभिन्न उपाय, यौन-शिक्षा विषयों से संबंधित…

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जनन स्वास्थ्य (Reproductive health) क्या है? इसके लिए किन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए?

जनन स्वास्थ्य (Reproductive health) :- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार जनन स्वास्थ्य जनन संबंधी सभी तथ्यों के साथ एक संपूर्ण स्वास्थ्य है। भारत विश्व का वह पहला देश था जिसने जनन स्वास्थ्य से संबंधित राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान तथा कार्यक्रमों की शुरुआत की थी। भारत में सर्वप्रथम 1951 में परिवार नियोजन…

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शुक्राणुजनन को परिभाषीत करें। शुक्रानुजनन पर हार्मोन का नियंत्रण तथा शुक्राणु की संरचना का वर्णन करें। (Spermatogenesis and Structure of Sperm) :-

शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) :- वृषण के शुक्रजनन नलिका में आदिबीजीकोशिकाओं (primordial germ cells) से शुक्राणुओं के निर्माण प्रक्रिया को शुक्राणुजनन (spermatogenesis) कहते हैं। इस प्रक्रिया में आदिबीजीकोशिकाएं बार-बार विभाजित होकर द्विगुणित शुक्राणुकोशिकाजन (spermatogonia) बनाती है। ये कोशिकाएं फिर प्राथमिक शुक्राणुकोशिकाओं (Primary spermatocytes) में परिवर्तित हो जाती है। शुक्राणुजनन पर हाॅर्मोन का नियंत्रण (Hormonal control of Spermatogenesis)…

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मानव जनन तंत्र क्या है। नर जनन तंत्र की संरचना। मादा जनन तंत्र की संरचना। (Human Reproductive System and It’s Structure)

मानव जनन तंत्र (Human Reproductive System) :- मानव जनन तंत्र अन्य जंतुओं की अपेक्षा अधिक विकसित तथा जटिल होते हैं, मानव एकलिंगी प्राणी है अर्थात मानव जनन तंत्र नर तथा मादा में अलग-अलग होते हैं। दोनो मानव जनन तंत्र में लैंगिक अंग तथा जनन ग्रंथियां पाई जाती है। नर जनन तंत्र की संरचना (Structure of…

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बहुभ्रूणता (Polyembryony) क्या है? बहुभ्रूणता के प्रकार, कारण अथवा महत्व क्या क्या हैं। बीज तथा फल का निर्माण कैसे होता है। फल के प्रकार क्या क्या हैं?

बहुभ्रूणता (Polyembryony) क्या है? उत्तर :- जब एक बीज के अंदर एक से अधिक भ्रूण बनते हो तो इस अवस्था को बहुभ्रूणता कहते हैं। बहुभ्रूणता दो प्रकार की होती है – 1. सत्य बहुभ्रूणता (True polyembryony) :- जब भ्रूणकोष में एक से अधिक भ्रूण उत्पन्न होते हैं तो उसे सत्य बहुभ्रूणता कहते हैं। 2. असत्य…

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भ्रूणपोष (Endosperm) क्या है? भ्रूणपोष के प्रकार क्या क्या हैं? पुष्पी पादपों में भ्रूण का विकास कैसे होता है?

भ्रूणपोष (Endosperm) क्या है? द्वि-निषेचन की क्रिया में जब नर युग्मक द्वितीयक केंद्रक से संलयन (Fusion) करता है तो इसके फलस्वरूप प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक बनता है, और यह सामान्यतः त्रिगुणित (Triploid) होता है। यह केंद्रक कई बार विभाजित होकर भ्रूणपोष का निर्माण करता है। भ्रूणपोष के प्रकार (Types of Endosperm) :- प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक में…

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द्वि निषेचन (Double Fertilization) किसे कहते हैं। द्वि निषेचन में क्रमवार क्रियाएं क्या क्या हैं। द्वि निषेचन का क्या महत्व है।

द्वि निषेचन (Double Fertilization) :- निषेचन की क्रिया में नरयुग्मक का अंड कोशिका से मिलकर द्विगुणित युग्मनज (Diploid zygote) बनाना तथा द्विगुणित केंद्रक का नरयुग्मक से संलयन “द्वि निषेचन” कहलाता है। द्वि निषेचन में क्रमवार क्रियाएं :- द्वि निषेचन में क्रमवार क्रियाएं निम्नलिखित हैं :– (1). परागकणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण (Germination of Pollen grains…

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वायु-परागण, जल-परागण तथा पक्षी-परागण क्या है। पराग-स्त्रीकेसर संकर्षण क्या होता है।

वायु-परागण (Anemophily) :- जब एक पुष्प का परागकण दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक वायु द्वारा पहुंचते हैं तो इस प्रकार के परागण को वायु-परागण कहते हैं, वायु परागित पुष्पों में आकर्षण, मकरग्रंथियों और सुगंध का अभाव होता है इस कमी को पूरा करने के लिए पुष्पों में असंख्य परागकण बनते हैं। जैसे – मक्का, चावल,…

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कीट परागण (Entomophily) क्या होता है। कीट परागित पुष्पों में अनुकुलन के बारे में बताएं।

कीट परागण (Entomophily) :- वैसे पुष्प जिसमें कीट द्वारा परागण होता है, उसे कीट परागित पुष्प कहा जाता है तथा पुष्प में इस प्रकार से होने वाले परागण को कीट परागण कहते हैं। कीट परागण के लिए मधुमक्खियां, तितलियां इत्यादि पुष्प से मकरंद (nectar) प्राप्त करने के लिए आकर्षित होते है। जैसे – प्राइमुला, यक्का…

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