जीन चिकित्सा क्या है समझाइए?
जीन चिकित्सा (Gene therapy ) :- किसी जीव के आनुवंशिक रोग के उपचार हेतु एक या एक से अधिक सामान्य जीन को भ्रूण या रोगी के ऊतक में प्रवेश कराना जीन चिकित्सा (Gene therapy) कहलाता है।
जीन चिकित्सा (Gene therapy ) :- किसी जीव के आनुवंशिक रोग के उपचार हेतु एक या एक से अधिक सामान्य जीन को भ्रूण या रोगी के ऊतक में प्रवेश कराना जीन चिकित्सा (Gene therapy) कहलाता है।
ह्यूमुलिन (Humulin) :- प्रयोगशाला में रिकॉम्बिनेंट डीएनए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर तैयार किए जानेवाले मानव इंसुलिन को ह्यूमुलिन (Humulin) कहते हैं। मानव इंसुलिन का निर्माण :-
बैसिलस थुरीनजिएंसिस (Bt) जीवाणु के कुछ स्ट्रेन (strain) एक विशेष प्रोटीन बनाते हैं जो विशेष प्रकार के कीटों को मार देती है। ऐसे प्रोटीन के लिए जिम्मेवार जीन को जब जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से कपास के पौधों में डालकर पीड़क प्रतिरोधी बनाया जाता है तब ऐसे पौधे को बीटी कपास कहते हैं।
डार्विनवाद (Darwinism) : चार्ल्स डार्विन एक अंग्रेज प्रकृति वैज्ञानिक थे। उन्होने क्रमविकास की प्रक्रिया की व्याख्या के लिए प्रसिद्ध प्राकृतिक चुनाव का सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे डार्विनवाद कहते हैं। सन् 1859 ईo में चार्ल्स डार्विन द्वारा लिखित एक पुस्तक “The Origin of Species” प्रकाशित हुई जिसमें डार्विनवाद का उल्लेख किया गया था। डार्विनवाद की मुख्य…
मत्स्यकी (Fisheries) एक प्रकार का उद्योग है जो पशुपालन के अंर्तगत आता है, इसका सीधा संबंध मत्स्य पालन, उनका प्रजनन तथा उनकी बिक्री से है। इस उद्योग में अन्य जलीय जीवों को भी सम्मिलित किया गया है। मत्स्य पालन को मछली पालन भी कहते है। मत्स्य पालन : विभिन्न संसाधनों का उपयोग कर जलीय पौधे…
कुक्कुट पालन : मांस तथा अंडे की प्राप्ति के लिए कुक्कुट पालन किया जाता है। कुक्कुट फार्म प्रबंधन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है : 1. बेहतर नस्ल :- 2. सुरक्षित परिस्थितियां :- 3. कुक्कुटों का आहार :- 4. कुक्कूटों के रोग :-
डेयरी फार्म प्रबंधन : पशुपालन के अन्तर्गत डेयरी उद्योग में दुधारू पशुओं (जैसे :– गाय, भैंस आदि) का प्रबंधन किया जाता है। इसे ही डेयरी फार्म प्रबंधन कहते है। डेयरी फार्म प्रबंधन में निम्नलिखित संसाधनों की आवश्यकता होती है : 1. नस्ल :- 2. देखभाल :- 3. भोजन :- 4. दुग्ध उत्पादों का भंडारण तथा…
आनुवंशिकतः रूपांतरित जीव [Genetically Modified Organisms (GMO)] :- आनुवंशिकी अभियांत्रिकी तकनीक द्वारा जब जीवों के जीन में परिवर्तन किया जाता है तब उससे प्राप्त जीव को आनुवंशिकतः रुपांतरित जीव कहते हैं। आनुवंशिकतः रूपांतरित जीव का व्यवहार निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है :– आनुवंशिकतः संशोधित फसल [Genetically Modified Crops (GM crops)] :- आनुवशिकतः संशोधित फसल…
कृषि में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका (Biotechnological applications in Agriculture) :- कृषि में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका अति महत्त्वपूर्ण है। कोशिका, उत्तक तथा अंग संवर्धन की प्रौद्योगिकी ने रोगमुक्त पौधे, प्रतिरोधी किस्में, पोषक तत्वों में सुधार, सूखा और लवणरोधी किस्मों के विकास तथा सूक्ष्म-प्रजनन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर…
पुनः संयोजक डीएनए प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA Technology) :- वांछित पौधे के डीएनए को विभिन्न विधियों द्वारा निकालकर उसे प्रतिबंधन एंजाइम की मदद से काटा जाता है फिर संवाहक (Vector) डीएनए के साथ लाइगेज एंजाइम की मदद से जोड़ कर रिकॉम्बिनेंट डीएनए प्राप्त किया जाता है। प्राप्त करने की ऐसी तकनीक को पुनः संयोजक डीएनए प्रौद्योगिकी…
जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिक प्रक्रमों, सजीवों अथवा उनसे प्राप्त पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
जैविक उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव (Microbes as Biofertilizers) :- किसी मृदा (soil) में यदि लगातार फसल उगाई जाती है और बाहर से पोषक तत्व नही मिलाई जाती है तब मृदा की उर्वरा-शक्ति कम हो जाती है। मृदा की उर्वरा-शक्ति में वृद्धि हेतु जैविक उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव का उपयोग करना अधिक लाभकारी होता…