बायोपाइरेसी क्या है? बायोप्रोस्पेक्टिंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
जब किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना अनुमति लिए तथा क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग किया जाता है तब वह बायोपाइरेसी कहलाता है।
जब किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना अनुमति लिए तथा क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग किया जाता है तब वह बायोपाइरेसी कहलाता है।
किसी रोग का पता लगाने के लिए पैथोलॉजी लैब में टेस्ट कराया जाता है जिसमे ब्लड एवं यूरीन का विश्लेषण (Analysis) किया जाता है। इस टेस्ट के आधार पर रोग के प्रभावी उपचार के लिए प्रारंभिक पहचान तथा उसके रोगक्रियाविज्ञान (Pathophysiology) को समझना आणविक निदान कहलाता है।
चिकित्सा में जैव प्रौद्योगिकी तकनीक का प्रयोग कर सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी चिकित्सीय औषधियों का अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है। वर्तमान में 30 से अधिक रिकॉम्बीनेंट चिकित्सीय औषधियां विश्व स्तर पर स्वीकृत हो चुकी है जिनमें 12 औषधियां भारत में भी उपलब्ध हैं।
पारजीवी जंतु (Transgenic Animals) :- जब किसी जंतु के डीएनए में परिचालन द्वारा बाहरी जीन को प्रवेश कराया जाता है
जीन चिकित्सा (Gene therapy ) :- किसी जीव के आनुवंशिक रोग के उपचार हेतु एक या एक से अधिक सामान्य
ह्यूमुलिन (Humulin) :- प्रयोगशाला में रिकॉम्बिनेंट डीएनए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर तैयार किए जानेवाले मानव इंसुलिन को ह्यूमुलिन (Humulin) कहते
बैसिलस थुरीनजिएंसिस (Bt) जीवाणु के कुछ स्ट्रेन (strain) एक विशेष प्रोटीन बनाते हैं जो विशेष प्रकार के कीटों को मार देती है। ऐसे प्रोटीन के लिए जिम्मेवार जीन को जब जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से कपास के पौधों में डालकर पीड़क प्रतिरोधी बनाया जाता है तब ऐसे पौधे को बीटी कपास कहते हैं।
आनुवंशिकतः रूपांतरित जीव [Genetically Modified Organisms (GMO)] :- आनुवंशिकी अभियांत्रिकी तकनीक द्वारा जब जीवों के जीन में परिवर्तन किया जाता
कृषि में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका (Biotechnological applications in Agriculture) :- कृषि में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका अति महत्त्वपूर्ण है।