गुणसूत्रीय विकार (Chromosomal Disorders) :-
मानव शरीर में पाए जाने वाले 23 जोड़े गुणसूत्र की संख्या या संरचना में किसी प्रकार के परिवर्तन हो जाने से गुणसूत्रीय विकार उत्पन्न होता है।
- कोशिका विभाजन के समय क्रोमेटिड के विसंयोजन में होने वाली गड़बड़ी से संतति कोशिका में एक गुणसूत्र की कमी या वृद्धि हो जाती है।
- इसीके फलस्वरूप मनुष्य में गुणसूत्रीय विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
- इसका मुख्य उदाहरण टर्नर्स सिंड्रोम, डाउन्स सिंड्रोम, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम आदि है।
टर्नर्स सिंड्रोम :-
जब मनुष्य के द्विगुणित गुणसूत्रों की संख्या में से एक की कमी हो जाती है तब टर्नर्स सिंड्रोम उत्पन्न होता है।
- इस प्रकार यह मोनोसोमी (2n-1) का एक उदाहरण है।
- इससे मानव शरीर में गुणसूत्रों की संख्या 45 रह जाती है।
- यह लक्षण नारियों में पाया जाता है।
- इस लक्षण में नारियों के अंडाशय अपरिपक्व होते हैं तथा इनमें द्वितीयक लैंगिक लक्षणों (Secondary Sexual Characters) का अभाव रहता है।
- ऐसे स्त्रियों में बच्चे पैदा करने की क्षमता नहीं रहती है।
डाउन्स सिंड्रोम :–
क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम :–
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