क्षयरोग या टीबी :
क्षयरोग या टीबी को ट्यूबरकुलोसिस तथा तपेदिक भी कहा जाता है। यह माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से होने वाला एक संक्रामक रोग है जो प्रायः मनुष्य के फेफड़ों, हड्डी, श्वासनली, लसीका ग्रंथि इत्यादि में होता है।
- क्षयरोग या टीबी रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु ट्यूबरक्युलिन नामक विषैले पदार्थ स्रावित करते हैं जो संक्रमित अंगों में पूर्ण रूप से फैल कर वह अंग के ऊतकों को क्षतिग्रस्त कर देता है।
- फेफड़ा, श्वासनली आदि के संक्रमण से होने वाले रोग को टीबी कहते हैं। इसमें रोगी को भूख कम लगती है, बराबर बुखार रहता है तथा कभी-कभी खांसी के साथ मुंह से रुधिर भी निकलता है।
- कभी-कभी लसीका ग्रंथि के संक्रमण से ग्रंथियां फूल जाती है।
- क्षयरोग या टीबी कई महीनो से लेकर कई वर्षों तक रहता हैं इसलिए इसे चिरकालिक रोग भी कहते है।
क्षयरोग या टीबी के लक्षण (Symptoms) :
क्षयरोग या टीबी के प्रमुख लक्षण निम्नालिखित हैं :
- सामान्यतः रोगी को बुखार आना।
- रात में शरीर से पसीना निकलना।
- रुधिरयुक्त कफ निकलना।
- वजन में कमी होना, आदि।
टीबी के रोकथाम (Prevention) :
टीबी के रोकथाम के उपाय निम्नालिखित हैं :
- इस रोग से बचने के लिए प्रथम कदम है रोगी को इधर-उधर थूकना बंद करना।
- परिवार में रोगी को अन्य सदस्यों से अलग रखना।
- प्रारंभिक अवस्था में ही शिशुओं को बीसीजी (BCG) के टीका का सभी खुराक लगवाना चाहिए।
- खानपान पर भी नजर रखना चाहिए ताकि परिवार के सभी सदस्यों को संतुलित आहार मिल सके।
टीबी रोग पर नियंत्रण (Control) :-
- बहुत दिनों तक लगातार विशेष प्रतिजैविक (Antibiotics) दवाओं के सेवन करने से इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।