क्लोनिंग संवाहक (Cloning vectors) :
कटे हुए DNA को जिसके माध्यम से पोषी (Host) कोशिका में स्थानांतरित किया जाता है उसे क्लोनिंग संवाहक कहते है।
क्लोनिंग संवाहक के रूप में निम्नालिखित का उपयोग किया जाता है :
- Plasmid (Bacterial DNA)
- जीवाणुभोजी वायरस (Bacteriophage Virus)
- पौधे एवं जंतुओं के वायरस
- बैक्टीरिया, यीस्ट, स्तनधारियों आदि के कृत्रिम क्रोमोजोम्स
क्लोनिंग संवाहक के प्रकार :
क्लोनिंग संवाहक दो प्रकार के होते है –
- प्राकृतिक क्लोनिंग संवाहक :– “Ti plasmid” एक प्राकृतिक क्लोनिंग संवाहक है जो एक जीवाणु एग्रोबैक्टेरियम ट्यूमिफेसिएंस द्वारा पौधों की जड़ों में बनाए गए ट्यूमर कोशिकाओं में पाया जाता है। यह एक प्राकृतिक जीन वाहक है जिसमें जेनेटिक सूचना के ट्रांसफर तथा एक्सप्रेशन करने की क्षमता होती है।
- कृत्रिम क्लोनिंग संवाहक :– “Bacterial plasmid pBR322” एक कृत्रिम Plasmid है जिसमें प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले Plasmid के विभिन्न भागों को प्रयुक्त किया गया है।
क्लोनिंग संवाहक की विशेषताएं :
प्रतिकरण की उत्पति [Origin of replication (ori)] :
- यह एक अनुक्रम (Sequence) है जहां से प्रतिकरण (Replication) की शुरुआत होती है। DNA का कोई खंड जब इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब वह पोषी (Host) कोशिकाओं के अंदर अपनी कई प्रतिरूप (Copy) बना लेते हैं। DNA के प्रतिरूपों की संख्या के नियंत्रण के लिए भी यह अनुक्रम जिम्मेदार होता है।
वरन योग्य चिन्हक (Selectable markers) :
- क्लोनिंग संवाहक को ‘Ori’ के साथ-साथ वरन योग्य चिन्हक की भी आवश्यकता होती है जो अरुपांतरणों (Non-transformants) की पहचान कर सके और उन्हें समाप्त करने में सहायक सिद्ध हो सके।
- रूपांतरण (Transformation) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा DNA के एक खंड को पोषी (Host) जीवाणु में प्रवेश कराया जाता है। सामान्यतः Tetracycline, Ampicillin, Chloramphenicol आदि प्रतिजैविकों (Antibiotics) के प्रति प्रतिरोध कोडित करनेवाले जीन E. coli जीवाणु के लिए उपयोगी वरन योग्य चिन्हक (Selectable markers) माने जाते हैं।
क्लोनिंग स्थल (Cloning sites) :
- विजातीय DNA को जोड़ने के लिए उपयोग किए जा रहे प्रतिबंधन एंजाइम के लिए संवाहक में एक या अधिक पहचान स्थल होते हैं जिन्हें क्लोनिंग स्थल कहते है।
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- उपर्युक्त चित्र में प्रतिबंधन एंजाइम्स जैसे EcoRl, BamHl, Sal l, EcoRv, Pst l, Hind lll, Nde l के लिए प्रतिबंधन स्थल होते हैं। इसके अतिरिक्त इनमे Ori तथा प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन (ampR एवं tetR) होते हैं।
So nice work