आबादी का स्वरूप (Distribution pattern of population) :-
आबादी का स्वरूप उसके रहने के स्थान पर मुख्य रूप से निर्भर करता है। भौतिक तत्वों से प्रभावित होकर आबादी का वितरण कभी सघन तो कभी विरल या सामान्य होता है।
आबादी का स्वरूप निम्नांकित बातों पर आधारित रहता है –
1. आबादी का वितरण स्वरूप (Distribution pattern of population) :-
स्थान के परिवर्तन होने से भौतिक तथा जैविक स्थितियों में परिवर्तन हो जाता है, इसलिए आबादी भी विभिन्न प्रकार की हो जाती है। वितरण के आधार पर आबादी निम्नलिखित प्रकार की होती है –
a. समरूप वितरण (uniform distribution) :-
अगर स्थान का अभाव न हो तथा जीवों की वृद्धि करने की सारी सामग्रियां समान रूप से हर जगह उपलब्ध हो तो वहां कोई प्रतियोगिता नहीं होती एवं सभी स्थान पर आबादी का वितरण एक समान हो जाता है। जैसे – फसल के मैदान।
b. आबादी का आसमान वितरण (random distribution of population) :-
प्राकृतिक रूप में क्षेत्रीय असमानता के कारण हर जगह जीवन संबंधी सुविधाएं एक समान नहीं होती, इसलिए आबादी का वितरण सामान्यतः एक समान नहीं होता है।
c. गुच्छित वितरण (clumped distribution) :-
जीवों के रहने के स्थान एवं वृद्धि के लिए आवश्यक पदार्थों के सीमित रहने के कारण एक जाति या अनेक जातियों की विभिन्न समूह छोटे-छोटे खंडों में एकत्रित रहते हैं।
d. समूहीकरण या एकत्रीकरण (aggregation) :-
जब अनुकूल परिस्थितियों के चलते एक जाति के जीव एक ही स्थान पर एकत्र हो जाते हो तो ऐसे आबादी का स्वरूप समूहीकरण या एकत्रीकरण कहलाता हैं।
e. पृथकीकरण (isolation) :-
जीवो की वृद्धि के लिए आवश्यक सामग्रियों को पाने के लिए जब संघर्ष आरंभ हो जाती है तो अंतराजातीय प्रतियोगिता (Indraspecific competitions) के चलते एक ही जाति के जंतु या पौधे एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। इसे आबादी का पृथकीकरण कहते हैं।
2. आबादी का घनत्व (density of population) :-
किसी दिए हुए समय में किसी निश्चित क्षेत्र में आबादी की कुल संख्या उस क्षेत्र का आबादी घनत्व कहलाता है। इसे निकालने के लिए जीवों की कुल संख्या को क्षेत्र की इकाई की संख्या से विभाजित करते हैं।
आबादी घनत्व (D) = जीवों की कुल संख्या (N) / क्षेत्रफल (S)
3. जातीय स्वरूप (Ethnic pattern) :-
जीवों का वितरण उसके जातीय स्वरूप पर भी निर्भर करता है। अंतरजातीय संघर्ष, महत्वाकांक्षा, सत्रुता आदि कारणों के चलते उच्च वर्ग की जीव एक निश्चित क्षेत्र में समूह बनाकर रहते हैं एवं अन्य जीवों को वहां से दूर कर देते हैं।