अम्लीय वर्षा (Acid rain) :-
विभिन्न प्रकार के ईंधनों के जलने से वातावरण में सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड मुक्त होते रहते हैं। ये वायु में मौजूद जल से अभिक्रिया कर H₂SO₄ तथा नाइट्रिक अम्ल (HNO₃) बनाते हैं जो वर्षा जल के साथ पृथ्वी पर गिरते हैं। इस घटना को अम्लीय वर्षा कहते हैं।
- अम्लीय वर्षा के कारण मकानों, स्मारकों, पुल, सड़क आदि धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
- अम्लीय वर्षा के कारण नील – हरित शैवाल, मछलियां, जीवाणु आदि मरने लगते हैं।
- इसके कारण पौधों में प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया मंद हो जाती है।
भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) :-
3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल स्थित मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) से संबंधित एक कीटनाशक बनाने वाली यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से दुर्घटनावश जहरीली गैसों जैसे – MIC तथा फॉस्जिन का रिसाव हुआ जिसके कारण 2000 लोगों की सोते हुए अकाल मृत्यु हो गई। हजारों लोगों में श्वसन तथा आंख संबंधित रोग उत्पन्न हो गए। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी कहते हैं।
विकिरण प्रदूषण के प्रभाव (Effects of radiation pollution) :-
जब वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के विकिरणों जैसे – अल्फा, बीटा, गामा एवं रेडियोधर्मी (Radioactive ) पदार्थ में हानिकारक परिवर्तन होता है तो उसे विक्रम प्रदूषण कहते हैं। विकिरण प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित है –
- रेडियोधर्मी पदार्थों के शरीर में प्रवेश से ब्लड कैंसर उत्पन्न होता है।
- विकिरण प्रदूषण के कारण जीवों में उत्परिवर्तन की दर में वृद्धि होती है ।
- इसके कारण शारीरिक दुर्बलता, जीवन अवधि में कमी, डीएनए, आरएनए, प्लीहा आदि को हानि पहुंचाता है ।
- रेडियोधर्मी विकिरणों के कारण बंध्यता (sterility ), दृष्टि-दोष (defect vision) आदि उत्पन्न होते है।