
DNA तथा उसकी संरचना :-

DNA ( Deoxyribose Nucleic Acid ) न्यूक्लियोटाइड्स का एक लंबा बहुलक है जिसकी लंबाई न्यूक्लियोटाइड के संख्या पर निर्भर करती है न्यूक्लियोटाइड की संख्या अधिक होने पर डीएनए भी अधिक लंबे होते हैं।
- सन् 1869 में Friedrich Meischer ने सर्वप्रथम यह पहचान किया कि डीएनए के रूप में कोशिका के अंदर केंद्रक में अम्लीय पदार्थ पाए जाते हैं जिसे उन्होंने Nuclein कहा था।
- सन 1953 में जेम्स वाटसन एवं फ्रांसिस क्रिक नामक दो वैज्ञानिकों ने एक्स किरण विवर्तन के आधार पर डीएनए संरचना का double helix model प्रस्तुत किया जो डीएनए की संरचना का एक सफल मॉडल था।
- यह दो पॉलिन्यूक्लियोटाइड चैन के बने होते हैं जिसका बैकबोन डीऑक्सिराइबोस शर्करा तथा फास्फेट के बने होते हैं इन से बने दो कुंडलियों के बीच नाइट्रोजन क्षारको के अणु उपस्थित होते हैं।
- डीएनए के एक श्रृंखला में शर्करा के कार्बन 3′ से 5′ के दिशा में जबकि दूसरे में 5′ से 3′ दिशा में पाए जाते हैं इस प्रकार दोनों कुंडलियां विपरीत दिशा में स्थित होते हैं।
- एक कड़ी का प्युरिन हमेशा दूसरी कड़ी के pyrimidine से हाइड्रोजन बंधन के द्वारा जुड़ा रहता है।
- Adenine (A) Thymine (T) से H-bonds के द्वारा जबकि Cytocine(C ) Guanine ( G) से हमेशा तीन H-bonds से जुड़े रहते है।
- कुंडली का एक पूर्ण घुमाओ 34 x 10⁻¹⁰ m में पूरा होता है इसमें 10 न्यूक्लियोटाइड्स के जोड़े होते हैं प्रत्येक जोड़ी के बीच 3.4 A की दूरी रहती हैं।
- दोनों कुंडलीयो के बीच की दूरी 20 x 10⁻¹⁰ m होती हैं।
न्यूक्लियोटाइड्स :-
यह न्यूक्लिक अम्ल का मोनोमर इकाई है क्योंकि न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लियोटाइड्स के बने होते हैं।
न्यूक्लियोटाइड के निम्नांकित तीन घटक होते हैं –
- नाइट्रोजन क्षारक ( Nitrogenous base )
- पेंटोज शर्करा ( Deoxyribose )
- फास्फेट समूह ( H₃PO₄ )
- नाइट्रोजन क्षारक दो प्रकार के होते हैं –
( a) Purine ( Adenine and Guanine )
( b) Pyrimidine ( Thymine and Cytosine )




- न्यूक्लियोटाइड बनने में H₃PO₄ एवं न्यूक्लियोसाइड का संघनन होता है जो फोस्फोइस्टर बंधन के द्वारा यह संभव होता है। ऊपर -नीचे के दो nucleotides phodphoester बंधन से जुड़े रहते है जो क्रमबद्ध होकर polynucleotides बनाता है।
नाइट्रोजनी क्षारक अणुओं की संरचना सूत्र :-




न्यूक्लियोसाइड ( Nucleoside ) :- न्यूक्लियोसाइड के दो घटक होते हैं-
- नाइट्रोजन क्षारक
- पेंटोज शर्करा
इसमें फास्फेट अणु का अभाव होता है जब न्यूक्लियोसाइड के साथ फास्फेट अणु जुड़ता है तो इससे न्यूक्लियोटाइड बनता है।
जब एक नाइट्रोजन क्षारक N- glycosidic द्वारा pentose शर्करा के साथ जुड़ता है तो इससे न्यूक्लियोसाइड बनता है।
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DNA के प्रकार :-
आधुनिक शोध के फलस्वरूप सूक्ष्म अंतरो के आधार पर डीएनए कई प्रकार के होते हैं जो निम्नांकित है –
A – form, B – form, C -form, D – form, E – form एवं Z – form DNA, इनमें B -form तथा Z – form मुख्य है।
B -form DNA तथा Z – form DNA में अंतर :-
B – DNA
- इसमें कुंडली का घुमाव दाहिने ओर होता है।
- इसमें शर्करा फास्फेट का नियमित व्यवस्था होता है।
- इसके प्रत्येक घुमाव में base pair की संख्या 10 होती हैं
- प्रत्येक घुमाओ की कुल दूरी 24 X 10⁻¹⁰m होती है।
- इसका व्यास 20 × 10⁻¹⁰ m होता है।
- इसमें दो नाइट्रोजन बेस के बीच की दूरी 3·4 x 10⁻¹⁰ m होती हैं।
Z – DNA
- इसमें कुंडली का घुमाव बाएँ ओर होता है।
- इसमें शर्करा फॉस्फेट का अनियमित व्यवस्था होता है।
- इसके प्रत्येक घुमाव में base pairs की संख्या 12 होती है।
- प्रत्येक घुमाव की कुल दूरी 45 X 10⁻¹⁰ m होती है।
- इसका व्यास 18 x 10⁻¹⁰ m होता है।
- इसमें दो पास के base pairs के बीच की दूरी 3·7 x 10⁻¹⁰ m होती है।
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