एड्स क्या है? एचआईवी वायरस की संरचना। एड्स के लक्षण, प्रसारण, इलाज तथा रोकथाम के उपाय क्या क्या हैं?

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एड्स (AIDS) :

एड्स का पूरा नाम “एक्वायर्ड ह्यूमन इम्यून डिफिशिएंसी सिंड्रोम” (Acquired human Immune Deficiency Syndrome) है। यह एक खतरनाक वायरल रोग है।

  • एड्स “ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस” [Human Immunodeficiency Virus (HIV)] से होता है।
  • इस रोग की अवस्था में शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) नष्ट हो जाती है जिससे शरीर की रोग निरोधी क्षमता काफी कम हो जाती है एवं शरीर विभिन्न प्रकार के रोगजनक से संक्रमित हो जाती है जिससे रोगी का जीवित रहना एक कठिन समस्या बन जाता है।
  • HIV वायरस लिंफोसाइट पर आक्रमण करते हैं एवं इन कोशिकाओं में वृद्धि करते हैं, कुछ समय के पश्चात यह वायरस लिंफोसाइट कोशिकाओं को नष्ट करने लगते हैं इससे शरीर की रोग निरोधी क्षमता कम होने लगती है। (जिससे किसी भी संक्रमित मनुष्य को विभिन्न प्रकार की बीमारिया जैसे न्यूमोनिया, कैंसर आदि आसानी से हो जाती है।) इसके परिणाम स्वरूप एड्स की बीमारी हो जाती है तथा औषधी के अभाव में रोगी की मृत्यु हो जाती है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस रोग की उत्पत्ति अफ्रीका के किसी क्षेत्र में आरंभ हुई और धीरे-धीरे यह रोग भारत एवं अन्य सभी देशों में फैल गई है।

एचआईवी (HIV) वायरस की संरचना :

  • एचआईवी वायरस में एक बाहरी झिल्ली के ऊपर ग्लाइकोप्रोटीन की परत रहती है।
  • बीच में एक प्रोटीन का आवरण पाया जाता है जिसके अंदर सिंगल स्ट्रांडेड RNA रहता है।
  • चूंकि RNA इसकी आनुवंशिक संरचना है, इसलिए इसे रेट्रोवायरस भी कहते हैं।
  • यह वायरस वीर्य, लिंफोसाइट और योनि के स्राव में पाया जाता है।
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चित्र :- HIV वायरस की संरचना

एड्स के लक्षण :

एड्स के लक्षण निम्नालिखित हैं :

  • अधिक दिनों तक बार बार पेट का खराब होना ।
  • लसिका ग्रंथियों का फूल जाना ।
  • क्रमशः शरीर का वजन कम होना ।
  • बीच-बीच में बीमार होना तथा यत्र-तत्र त्वचा पर घाव का होना ।
  • कम काम करने पर भी थकावट महसूस करना ।
  • बातचीत करने में भी कष्ट का अनुभव करना ।
  • धीरे-धीरे स्मरण शक्ति का कम हो जाना।

एड्स रोग के प्रसारण :

इसका प्रसारण निम्नांकित तरीके से होता है –

1.संभोग द्वारा :-

यह रोग प्रायः अनैतिक यौन संबंधों के कारण होता है। यदि कोई एड्स से पीड़ित व्यक्ति स्त्री या पुरुष किसी स्वास्थ व्यक्ति यौन संबंध रखता है तो प्रायः स्वस्थ व्यक्ति भी इसका शिकार हो जाता है।

2. रूधिर आधान द्वारा :-

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का रुधिर किसी स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाने से, रुधिर प्राप्तकर्ता के रुधिर को सीधे एचआईवी प्राप्त हो जाता है एवं वह भी AIDS का शिकार हो जाता है।

3. संक्रमित इंजेक्शन से :-

एचआईवी से संक्रमित इंजेक्शन की सुई के व्यवहार से भी AIDS का संचरण होता है।

4. संक्रमित गर्भवती महिला से:-

इस से पीड़ित गर्भवती महिला के वायरस भ्रूण में जाकर गर्भस्थ शिशु को भी संक्रमित कर देता है।

एड्स का ईलाज :-

मनुष्य अब तक एड्स नियंत्रण के लिए कोई टीका या औषधि निर्माण नहीं कर पाया है। लेकिन वैज्ञानिक इस दिशा में सफलता पाने की आशा रखते हैं। अनैतिक यौन संबंध से दूर रहना एड्स नियंत्रण का प्रथम कदम है।

एड्स के रोकथाम के उपाय :

एड्स के रोकथाम के उपाय निम्नालिखित हैं :

  • अनैतिक यौन संबंध से अपने आप को दूर रखें।
  • रुधिर आधान के पहले रुधिरदाता के रुधिर को परीक्षण करें कि रुधिर एड्स वायरस से मुक्त है या नहीं। एड्स वायरसरहित रुधिर का ही केवल रुधिर आधान में इस्तेमाल करना चाहिए।
  • केवल एक बार प्रयोग में आनेवाला सुई का ही प्रयोग करें।
  • दूसरे व्यक्तियों के द्वारा व्योहारित शेविंग रेजर, टूथब्रश आदि व्यवहार नहीं करना चाहिए।
  • स्वास्थ्य -शिक्षा तथा प्रचार-प्रसार द्वारा आम जनता को एड्स के संबंध में विशेष जानकारी देना चाहिए।
  • मैथुन के समय कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • यदि कोई आशंका हो तो तुरंत जांच कराएं एवं योग्य डॉक्टर से मिलकर रोग का पूरा इलाज कराएं।

विश्व AIDS दिवस प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है।

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