मलेरिया (malaria) :-
मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो प्रोटोजोआ समूह के सूक्ष्मजीव मलेरिया परजीवी (प्लाज्मोडियम) के संक्रमण से उत्पन्न होता है। प्लाज्मोडियम की चार जातियां होती है –
- प्लाज्मोडियम वाइवैक्स
- प्लाज्मोडियम मलेरियाई
- प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम
- प्लाज्मोडियम ओवेल
प्लाज्मोडियम के जीवन चक्र दो पोषकों (host) में पूर्ण होती है, पहला पोषक मादा एनोफेलिज मच्छर तथा दूसरा पोषक मनुष्य होता है। मादा एनोफेलिज मच्छर के लार ग्रंथियों में इसकी संक्रमित अवस्था हजारों की संख्या में स्पोरोज्वायट के रूप में रहते हैं। जब यह संक्रमित मच्छर मनुष्य का रक्त चूसता है तब उसके लार ग्रंथियों में उपस्थित स्पोरोज्वायट मनुष्य में प्रवेश कर जाता है। अब मनुष्य के RBC में इसका मेरोज्वायट (merozoite) अवस्था बनता है जो हीमोग्लोबिन को तोड़कर हीमोजोइन (haemozoin) नामक विषैले पदार्थ बनाता है, जिसके कारण मनुष्य को कंपन के साथ बुखार आता है।
मलेरिया के लक्षण (Symptoms of malaria) :-
- रोगी को प्रति 48 घंटे के अंतराल पर कंपन के साथ बुखार, सिर दर्द तथा मांसपेशियों में दर्द इसका सामान्य लक्षण है।
- RBC के नष्ट होने से इसकी संख्या में कमी आ जाती है तथा रोगी को रुधिरशुन्यता होने की संभावना बढ़ जाती है।
- प्लीहा (spleen) का आकार बढ़ जाता है।
- रोगी को तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है –
(a) ठंडा अवस्था – शरीर में ठंडा एवं कंपन होता है।
(b) गर्म अवस्था – सिर दर्द तथा तेज बुखार (105⁰F) होता है।
(c) पसीना अवस्था – शरीर का ताप कम हो जाता है तथा शरीर से पसीना निकलता है।
नियंत्रण (Control) :-
- मलेरिया की सबसे मशहूर दवा कुनैन (quinine)है जो सिनकोना वृक्ष की छाल से बनती है।
- Chloroquine तथा Primaquine भी मलेरिया की प्रभावकारी दवा है।

रोकथाम (Prevention) :-
- मलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है। रोकथाम के लिए मच्छर को नष्ट करना आवश्यक होता है, इसके लिए गड्ढों, नालों तथा घरों में डीडीटी का छिड़काव करना चाहिए।
- सोते समय मच्छरदानी के अंदर सोना चाहिए या शरीर के खुले भागों में मच्छर निरोधक क्रीम या सरसों का तेल लगाना चाहिए।
- मच्छर के जन्म स्थान पर केरोसिन तेल का छिड़काव करने से उसका लार्वा तथा प्यूपा नष्ट हो जाता है।
- मछलियों जैसे – गरई, मांगुर, गैंबुसिया आदि के द्वारा मच्छरों का नियंत्रण हो सकता है। मकान के आसपास जलाशयों में ऐसे मछलियों को पालना चाहिए।



