क्रमविकास के प्रमाण

क्रमविकास के प्रमाण (Evidences of Evolution) :-

पृथ्वी पर जीवों के क्रमविकास के कई प्रमाण है। जैसे – जीवाश्म विज्ञान, भ्रूण विज्ञान, समजात अंग, असमजात अंग, प्राकृतिक चयन, मानवजनित क्रियाएँ आदि से मिले प्रमाण।

1. जीवाश्म विज्ञान से मिले प्रमाण (Palaeontological evidence) :-

चट्टानों के अंदर जीवों के कठोर अवशेष को जीवाश्म (fossils) कहते हैं तथा इसका अध्ययन जीवाश्म विज्ञान कहलाता है।

विभिन्न उम्र के अवसादों या तलछटों (sediments) से चट्टानों का निर्माण हुआ है। विभिन्न अवसादी चट्टानों में विभिन्न जीव पाए गए है। अवसादों के निर्माण के समय ये जीव मर गए थे। इन्हें अब विलुप्त जीव (extinct organisms) कहते हैं, जो आधुनिक जीवों से मिलते – जुलते है।

जैसे – डायनासोर (Dinosaurs) तथा आर्कियोप्टेरिक्स – reptiles, पक्षी आदि से मिलते- जुलते हैं।

इओहिप्पस (Eohippus) – यह आधुनिक घोड़े के सबसे पुराना पूर्वज है।

भूवैज्ञानिक समय पैमाना (Geological time scale) :-

भूवैज्ञानिक समय पैमाना एक कालानुक्रमिक मॉडल है जिसका उपयोग पृथ्वी के इतिहास को व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है

  • इसे भूवैज्ञानिक तथा जैविक घटनाओं के आधार पर कल्पों (eons) युगों (eras), अवधियों (periods) और युगारंभ (epochs) में विभाजित किया जाता है।
  •  यह पैमाना भूवैज्ञानिकों, जीवाश्म विज्ञानियों और अन्य पृथ्वी वैज्ञानिकों को पृथ्वी के इतिहास में घटनाओं के समय और संबंधों को समझने में मदद करता है।   
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2. भ्रूणविज्ञान (Embryology) :-

Ernst Hackel ने क्रमविकास का प्रमाण भ्रूणीय विकास (Embryonic development) के रूप में दिया।

  • सभी vertibrates में embryonic development के समय कुछ सामान्य विशेषताएँ पाए जाते है, किंतु adult में absent होते हैं। जैसे – सभी vertibrates में vestigial gill slits prasent होते हैं जो fishes में functional तथा अन्य में non-functional होते हैं।

3. बाह्य आकारिकी तथा शरीर संरचना विज्ञान (Morphology and Anatomy) :-

विलुप्त तथा वर्तमान जीवों के शरीर संरचना तथा बाह्य आकारिकी का तुलनात्मक अध्ययन करने पर इनमें समानताएं तथा विभिन्नताएं दोनों मिलते हैं, जो क्रमविकास को प्रमाणित करता है। जैसे –

A. समजात अंग (Homologous organs) :-

जीवों के वैसे अंग जिसकी उत्पति तथा संरचना समान हो किंतु कार्य अलग – अलग हो उसे समजात अंग (homologous organs) कहते हैं। अंगों के ऐसे विकास अपसारी विकास (divergent evolution) कहलाते हैं।

जैसे – 1. whales के फ्लिपर्स, चमगादर तथा पक्षी के पंख, मनुष्य, घोड़ा तथा अन्य mammals के अगर पाद (forelimbs)।

इनके forelimbs में humerus, radius, ulna, carpals, metacarpals तथा phalangers पाए जाते हैं, जो इनके सामान्य पूर्वज (common ancestry) को दर्शाता है।

2. Cucurbita तथा Bougainvillea के क्रमशः tendril एवं thorn समजात अंग को दर्शाते हैं।

B. असमजात अंग (Analogous organs) :-

जीवों के वैसे अंग जिनकी उत्पति तथा संरचना भिन्न- भिन्न हो, किंतु इनके कार्य समान हो उसे असमजात अंग कहते हैं। इस प्रकार के अंगों का विकास अभिसारी विकास (convergent evolution) कहलाता है।

जैसे – कीटों तथा पक्षियों के पंख, Octopus तथा mammals के आँख, penguins तथा dolphins के flippers, sweet potato tuber तथा potato tuber असमजात (analogous) अंग है। इनमें विशेष protein तथा gene उपस्थित होने के कारण common funtion होता है, जो क्रमविकास को दर्शाता है।

C. अवशेषी अंग (Vestigial organs) :-

4. प्राकृतिक चयन (Natural selection) द्वारा क्रमविकास :-

इंग्लैंड के शहरी क्षेत्रों में देखा गया कि अद्योगिकीकरण के पूर्व (1950 के पूर्व) पेड़ों पर सफेद पंख वाले शलभ (मॉथ) की संख्या गहरे रंग के पंख वाले मॉथ की तुलना में अधिक थी किंतु अद्योगिकीकरण के बाद (1920) इनकी संख्या उलट गई अर्थात गहरे (काले) रंग की संख्या अधिक हो गई।

  • अद्योगिकीकरण के पूर्व पेड़ों पर सफेद लाइकेन पाए जाते थे। इस पृष्ठभूमि में सफेद मॉथ बच जाते थे। प्राकृतिक उन्हें चयन कर लेते थे जबकि गहरे पंख वाले मॉथ शिकारियों द्वारा मार दिए जाते थे।
  • लाइकेन अद्योगिक प्रदूषण के सूचक (indicator of industrial pollution) होते हैं। ये प्रदूषित स्थानों में नहीं उगते हैं, इसलिए सफेद पंख वाले मॉथ लाइकेन के छद्मावारण में सुरक्षित रह पाते थे।
  • अद्योगिकीकरण के बाद उद्योगों के धुए तथा कालिख के कारण पेड़ों के तने काले पड़ गए जिसके छद्मावारण में काले पंख वाले मॉथ सुरक्षित हो गए जबकि सफेद पंख वाले शलभ (मॉथ) शिकारियों की पकड़ में आकर मारे जाते थे। इस प्रकार काले पंख वाले मॉथ को प्राकृतिक चयन कर लिया।

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